भारत में सर्जरी और मौतें | EDITORIAL by Rakesh Dubey

एक अध्धयन का निष्कर्ष है कि दुनिया भर में करीब 42 लाख लोग सर्जरी कराने के एक महीने के भीतर मौत का शिकार हो जाते हैं इनमे से बड़ी संख्या में भारतीय होते हैं। यह आंकड़ा सभी तरह की मौतों की कुल संख्या का लगभग आठ प्रतिशत है। एड्स, टीबी और मलेरिया के कारण भी इतने लोग नहीं मरते हैं।

प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन में यह भी रेखांकित किया गया है कि इन मौतों के आधे शिकार निम्न और मध्य आय के देशों में हैं जिनमें भारत भी शामिल है। सुविधाओं के आभाव  और गरीबी के कारण ऐसे देशों में हर उस रोगी का ऑपरेशन भी  नहीं हो पाता है , जिसे इसकी जरूरत होती है। यदि ऐसा हो पाता, तो मरनेवालों की संख्या 61 लाख तक हो सकती है। दुनिया में मात्र 29 देश ही ऐसे हैं, जहां होनेवाली सर्जरी की गुणवत्ता का आकलन होता है। स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था में असंतुलन और आर्थिक असमानता के कारण आज धरती पर लगभग पांच अरब लोग ऐसे हैं, जिनकी पहुंच सस्ती और सुरक्षित सर्जरी तक नहीं है।

गरीब और विकासशील देशों में 14 करोड़ से ज्यादा ऐसे मरीज हैं, जिन्हें ऑपरेशन की तुरंत जरूरत है, पर उन्हें यह सुविधा नहीं है। लांसेट ने एक अन्य आकलन के अनुसार, 88 देशों में 2030 तक स्वास्थ्य केंद्रों पर सर्जरी की सामान्य व्यवस्था के लिए 400 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। इन देशों में चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी हैं। यदि यह साधारण निवेश भी नहीं किया जा सका, तो विकासशील देशों को 2015 और 2030 के बीच 12.4 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है।

हमारे देश भारत के साथ यह विडंबना भी है कि यहां स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव से मरनेवालों की संख्या से अधिक ऐसे लोगों की संख्या है, जो खराब चिकित्सा के कारण काल के गाल में समा जाते हैं| वर्ष 2016 में 8.38 लाख बीमार उपचार के बिना मारे थे, जबकि बदहाल और लापरवाह चिकित्सा ने 16 लाख जानें ले ली थी। कहने को स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी मोदी सरकार की बड़ी प्राथमिकताओं में रही है।

मिशन इंद्रधनुष के तहत व्यापक टीकाकरण, प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना के तहत गरीब परिवारों को स्वास्थ्य बीमा, अनेक अखिल भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों तथा डेढ़ लाख स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के साथ स्वच्छता और जागरूकता बढ़ाने जैसी उल्लेखनीय पहलें भी हुई हैं। स्वास्थ्य बीमा योजना जहां दुनिया की ऐसी सबसे बड़ी योजना है, वहीं टीकाकरण प्रयास को वैश्विक स्तर पर सराहना मिली है। वैसे भारत उन देशों में हैं, जो स्वास्थ्य पर सबसे कम निवेश करते हैं। चूंकि यह समस्या कई दशकों से चली आ रही है, सो इसे सुधारने में भी समय लगेगा। 

सरकार आगामी कुछ वर्षों में इस मद में सरकारी खर्च को दोगुना करने की कोशिश में है तथा बीमा और भागीदारी से निजी क्षेत्र का सहयोग भी माँगा जा रहा है। सवा अरब से भी बड़ी आबादी को समुचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराये बिना समृद्ध भारत के सपने को साकार करना संभव नहीं है, इसलिए वर्तमान प्रयासों की गति बढ़ाने की आवश्यकता है।
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !