भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार के आदेश के बाद भी शिक्षकों को चुनाव में ड्यूटी से राहत नहीं मिली है। करीब एक माह पहले चुनाव में शिक्षकों के कार्यमुक्ति के निर्देश जारी हो चुके हैं, लेकिन अब तक शिक्षक चुनावी कार्य में ही लगे हुए हैं। शिक्षकों को कार्यमुक्ति के आदेश अभी तक नहीं मिले हैं। चुनावी कार्य के चलते बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां पूरी तरह से ठप है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के खत्म होने के साथ ही लोकसभा चुनाव में शिक्षकों को कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव का असर बोर्ड परीक्षाओं पर दिख रहा है। अब तक सरकारी स्कूलों में कोर्स भी पूरा नहीं हो सका है। बोर्ड परीक्षाओं पर इलेक्शन ड्यूटी के असर के चलते शिक्षकों को राज्य सरकार ने चुनाव कार्य से दूर रखने के आदेश भी जारी किए थे, लेकिन ये आदेश बेअसर साबित हुए हैं।
भोपाल जिले में करीब दो हजार से ज्यादा शिक्षकों ने जनवरी के आखिर तक चुनाव कार्य संभाला है। स्कूल के साथ ही बीएलओ की जिम्मेदारी भी शिक्षक निभा रहे हैं, वहीं स्कूलों में बोर्ड परीक्षाओं और एग्जाम्स की तैयारी के लिए कोर्स भी पूरा करवाना है। शिक्षकों का कहना है कि अब तक कार्यमुक्त नहीं किया गया है। फील्ड पर जाकर चुनाव कार्य निपटा रहे हैं तो स्कूलों में कोर्स भी पूरा करवा रहे हैं।
10 दिनों के बाद फिर से घर-घर जाकर वोटर कार्ड बांटने के साथ ही वोटर स्लिप भी पहुंचाने का कार्य करना होगा, वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चुनाव से शिक्षकों की कार्यमुक्ति के आदेश अभी प्राप्त नहीं हुए हैं, जिसके चलते टीचर्स को बीएलओ कार्य तो करना ही होगा. शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए भले ही शिक्षकों को दूसरे कार्यों से मुक्त कराने के आदेश दिए जाते हैं, लेकिन आदेश सिर्फ कोरे कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं और वे मात्र दिखावा ही साबित हो रहे हैं।