Article 35- मूल अधिकारों के उल्लंघन पर दण्ड के लिए विधि कौन बना सकता है, जानिए

भारतीय संविधान में नागरिकों को छः प्रकार के मौलिक अधिकार प्राप्त है, अर्थात प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार एवं संवैधानिक अधिकार। अगर कोई व्यक्ति इन मौलिक अधिकारों पर अतिक्रमण करता तो दण्ड देने के लिए कानून कौन बनाएगा राज्य सरकार या केंद्र सरकार जानिए।

भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 35 की परिभाषा

जब नागरिकों के मौलिक अधिकार लागू है और कोई व्यक्ति उन पर अतिक्रमण करता है तब दण्ड के लिए विधि बनाने का कार्य भारत की संसद का होगा चाहे वह राज्य सूची का विषय क्यों ना हो। भारत के नागरिक के मौलिक अधिकार के हनन के मामले में राज्य सरकार अपनी तरफ से कोई कानून नहीं बना सकती।

उदाहरण के लिए:- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 में कहा है कि किसी भी व्यक्ति से बंधुआ मजदूरी नही करवाई जाएगी। अगर कोई व्यक्ति किसी से बेगार करवाता है या जबर्दस्ती बंधुआ मजदूरी करवाता है तब यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 पर अतिक्रमण होगा इसके लिए दण्ड का निर्धारण या दण्ड के लिए कानून सिर्फ संसद ही बनाएगी न की राज्य विधानमंडल। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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