जब कोई खाद्य पदार्थ में मिलावट का मामला सामने आता है या किसी विस्फोटक सामग्री अथवा किसी भी आपराधिक मामले में केमिकल इत्यादि को जप्त किया जाता है तब उसकी जांच विशेषज्ञों के माध्यम से करवाई जाती है। तब कौन से वैज्ञानिक विशेषज्ञ इनकी जाँच करेगे एवं अपनी जाँच रिपोर्ट साक्ष्य के रूप में कैसे प्रस्तुत करेंगे जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 293 की परिभाषा
1. कोई दस्तावेज जो किसी सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ के पास किसी पदार्थ, सामग्री, वस्तु की जाँच या सत्यापन के लिए दिया गया है, तब वह रिपोर्ट को वैज्ञानिक स्वहस्ताक्षरित कर न्यायालय को जाँच, विचारण या अन्य कार्यवाही के समय साक्ष्य के रूप में देगा।
2. अगर न्यायालय को लगता है की वह जाँच करने वाले वैज्ञानिक को रिपोर्ट की विषयवस्तु समझने के लिए न्यायालय बुलाना आवश्यक है तो वह समन जारी कर सरकारी वैज्ञानिक को न्यायालय बुला सकता है।
3. लेकिन अगर जिस वैज्ञानिक को न्यायालय ने समन जारी कर बुलाया है अगर वह किसी कारणवश आने में असमर्थ है तब वह वैज्ञानिक ऐसे वैज्ञानिक विशेषज्ञ को न्यायालय भेज सकता है जिसे उस मामले के तथ्यों का ज्ञान हो एवं उसका साक्ष्य न्यायालय में मान्य होगा।
4. यह धारा निम्न सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों पर लागू होती है जानिए:-
(क). सरकार का कोई भी रासायनिक परीक्षक या सहायक रासायनिक परीक्षक।
(ख). सरकारी मुख्य विस्फोटक नियंत्रक।
(ग). अंगुली-छाप कार्यालय निदेशक।
(घ). निदेशक, हफकीन संस्थान, मुम्बई।
(ड). कोई भी केंद्रीय न्याय संबंधी विज्ञान प्रयोगशाला या कोई राज्य न्याय संबंधी विज्ञान प्रयोगशाला का निदेशक, उप निदेशक, सहायक निदेशक।
(च). सरकारी सीरभ विज्ञानी।
(छ). कोई भी अन्य सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ जो इस प्रयोजन के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा सूचना के माध्यम से विनिदिर्ष्ट (अनुज्ञप्ति) किया गया हो। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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