भारत के सर्वोच्च न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर अनुच्छेद 32 के अनुसार डायरेक्ट याचिका दायर की जा सकती है। अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट सीधे सुनवाई नहीं करता। सवाल यह है कि क्या सिविल मामलों की अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है। क्योंकि हमने आपको बताया था कि सिविल मामलों का अंतिम अपीलीय न्यायालय हाईकोर्ट होता है और उसका निर्णय सर्वमान्य होगा।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 106 की परिभाषा
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 133 में किसी भी सिविल मामले के निर्णय, डिक्री, व आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील का प्राविधान है, लेकिन उच्चतम न्यायालय में अपील की निम्न शर्तो का पूरा होना आवश्यक है जानिए:-
1. कोई भी निर्णय, डिक्री, या अंतिम आदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित किया गया हो।
2. ऐसा सिविल मामला जिसमे व्यापक महत्वपूर्ण का कोई मौलिक विधिक प्रश्न अंतर्वलित हो एवं उच्च न्यायालय की राय में उस प्रश्न का उच्चतम न्यायालय द्वारा विनिश्चय आवश्यक हैं।
उच्चतम न्यायालय में अपील कब स्वीकार नहीं होती हैं जानिए:-
जब तक किसी सिविल वाद में पारित डिक्री, निर्णय व आदेश या विधि का कोई मौलिक विधि का बिंदु विवादित न हो तब उच्चतम न्यायालय में सिविल मामलों की अपील नहीं हो सकती हैं। सिविल मामलों से तात्पर्य जिसमें संपत्ति मामलों के अधिकार एवं अन्य किसी अधिकार से है।
"इस प्रकार हम कह सकते हैं कि तथ्य प्रथम अपीलीय स्तर पर एवं मौलिक विधि द्वितीय स्तर पर अंतिम मान लिया जाता है, लेकिन धारा 112 यह वर्णन करती है कि यदि मूल न्यायालय या अपीलीय न्यायालय ने मूलभूत प्रकियाओं एवं विधि को अनदेखा कर तथ्यात्मक या विधिक बिंदु पर गलत निर्णय दिया है तो निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई जा सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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