जबलपुर। कुछ सालों पहले तक न्याय मांगने के लिए हाईकोर्ट की चौखट पर जाना गरीबों के बस का काम नहीं था। पूरी कार्रवाई अंग्रेजी में होती थी और वकीलों की फीस भी बहुत थी। अब दोनों परिस्थितियां बदल गई है। दमोह जिले के झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 11 लोग कलेक्टर के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने अतिक्रमण की कार्रवाई स्थगित कर दी।
दमोह के वार्ड क्रमांक सात बेलाताल निवासी बंती नामदेव, हाकम सिंह, पूना देवी सहित 11 लोगों की ओर से यह याचिका दायर की गई। अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता लगभग तीस वर्षों से उक्त इलाके में झुग्गियां बनाकर रह रहे हैं। 2 मई, 2022 को उन्हें उक्त जमीन खाले करने व उनके निर्माण ध्वस्त करने करने का आदेश जारी किया गया। याचिकाकर्ताओं ने उक्त सरकारी आदेश का जवाब भी दिया, लेकिन अफसर उनकी जमीन खाली कराने पर तुले हैं।
बहस के दौरान तर्क दिया गया कि सभी याचिकाकर्ता भूमिहीन हैं। मध्य प्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति अधिनियम 1984 के तहत प्रावधान है कि भूमिहीन व्यक्ति यदि 31 दिसम्बर, 2014 से पहले से किसी सरकारी जमीन पर काबिज है तो उसे उसका स्वामित्व दिया जाएगा। याचिकाकर्ताओं को उक्त प्रावधान का लाभ मिलना चाहिए।
न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की ग्रीष्म अवकाशकालीन एकलपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं के इस सम्बंध में दिए गए अभ्यावेदन पर इस अवधि के अंदर विचार कर विधि अनुसार निर्णय ले लिया जाए। यदि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सक्षम अधिकारियों का निर्णय आता है तो इसके बाद 15 दिनों का अवसर और दिया जाएगा।