EMPLOYEE NEWS- नीति के विरुद्ध हुए ट्रांसफर को घर बैठे स्थगित करवा सकते हैं

भोपाल
। वर्तमान में प्रदेश भर में व्यापक पैमाने पर किए गए प्रशासनिक स्थानांतरणों से कर्मचारी जगत में भूचाल मचा हुआ है, समग्र शिक्षक संघ ने ऐसे स्थानांतरणों को राजनैतिक कुमंशा से प्रेरित बताते हुए इसकी भर्त्सना की है। 
 

प्रस्तुतीकरण सही हो तो 95% मामलों में न्यायालय से स्थगन मिलता है

समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री संजय तिवारी का कहना है कि प्रशासकीय स्थानांतरणों के मामलों में यदि न्यायालय में प्रस्तुतीकरण सही हो तो 95% मामलों में उच्च न्यायालय से स्थगन होता है, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति जो कि सभी विभागों के लिए समान रूप से लागू की गई है, इसके प्रावधानों के विरुद्ध किए गए स्थानांतरण नियम विरुद्ध है।

क्या कहती है स्थानांतरण नीति

स्थानांतरण नीति की कंडिका 25 के अनुसार किसी भी अधिकारी कर्मचारी का प्रशासनिक स्थानांतरण तभी किया जा सकता है जबकि संबंधित कर्मचारी अधिकारी की शिकायती जांच के परिणामस्वरूप प्रथम दृष्टि में उस पर दोष सिद्ध पाये गए हो अथवा संस्था में विषयमान या संख्या मान से अतिशेष के श्रेणी में हो, प्रशासनिक आवश्यकता और लक्ष्यपूर्ति स्थानांतरण भी एक पहलू हो सकता है। 

नीति की कंडिका 24 ये भी कहती है कि 40% या उससे अधिक विकलांग, गंभीर बीमारियों जैसे हृदय,केंसर, किडनी अथवा कोविड-19 जैसी बीमारियों के ऐसे मरीज जिन्हें निरंतर इलाज और जांच की आवश्यकता हो उनका भी स्थानांतरण नहीं किया जा सकता, कंडिका 22 के अनुसार ऐसे कर्मचारियों का स्थानांतरण भी नहीं किया जा सकता जिनकी सेवा अवधि 1 वर्ष से कम शेष हो, मध्य शैक्षणिक सत्र, प्रतिबंध अवधि, श्रंखला बनाकर किसी अन्य कर्मचारी को स्थापित करने के लिए किसी कर्मचारी को विस्थापित करना भी नीति की कंडिका 19 के विरुद्ध है। 

नीति के विपरीत किए गए प्रशासनिक ट्रांसफर राजनीतिक द्वेष भावना से प्रेरित माने जाते हैं, जिसे न्यायालय भी नियमविरुद्ध मानता है ऐसे मामलों में उच्च न्यायालय से स्थानांतरण पर स्थगन होता है!
 

इकतरफा रिलीव के जाने की स्थिति में क्या करें शिक्षक कर्मचारी

एकतरफा रिलीव किए जाने की स्थिति में संबंधित अधिकारी कर्मचारी अपना मेडिकल रजिस्टर्ड डाक से अपने वेतन आहरण अधिकारी और संस्था को भेज सकते है, मेडिकल सिक प्रमाण पत्र सरकारी या निजी किसी चिकित्सक का हो सकता है, मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राइवेट चिकित्सक का एमबीबीएस डिग्रीधारी होना आवश्यक है। न्यायालय में याचिका दायर करने के पूर्व अपीलीय अधिकारी को अपील अभ्यावेदन प्रस्तुत करना आवश्यक होता है, जिसके आधार पर ही न्यायालय में परिवाद दायर और स्थगन होता है।

घर बैठे भी दायर की जा सकती है याचिका

संबंधित कर्मचारी हाईकोर्ट के किसी भी अधिवक्ता से दूरभाष पर बात कर घर बैठे उच्च न्यायालय में याचिका दायर करा सकते हैं। वर्तमान में 30 सितम्बर तक हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई चल रही है, संबंधित पक्ष व्हाट्सएप के माध्यम से सभी आवश्यक दस्तावेज अपने एडवोकेट को भेज सकते हैं, जिसमे अभ्यावेदन, रजिस्टर्ड डाक से भेजी गई उसकी पावती, स्थानांतरण आदेश की छायाप्रति, साथ में संस्था की प्रमाणित शिक्षकीय जानकारी सप्रमाण प्रेषित करना होगी। 

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