झोलाछाप डॉक्टर को आईपीसी की धारा 87, 88, 89 संरक्षण प्राप्त होता है या नहीं - IPC SECTION-90

पहले हम आपको ये बताएंगे कि किसी भी प्रकार से कपट, भय, गुमराह करके ली गई सहमति क्या होती है - अगर कोई व्यक्ति स्वयं को डॉक्टर बताकर मरीज के इलाज करने की सहमति ले लेता है। वास्तव में वह डॉक्टर नहीं डॉक्टर का कंपाउंडर होता है या बिना डिग्री वाला फर्जी डॉक्टर होता है तब उसके द्वारा ली गई स्वीकृति अपराध होगी। 

अर्थात अगर कोई व्यक्ति डर दिखा कर किसी व्यक्ति से स्वीकृति लेता है या किसी व्यक्ति को जबरदस्ती शराब पिला कर सहमति ले ली जाएं  तब यह भी अपराध हैं या किसी को भ्रम में डालकर कोई सहमति ले लेता है वह भी अपराध है मतलब की किसी  भी तरह से गुमराह करके ली गई मरीज से सहमति भारतीय दण्ड संहिता में किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं होगी जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 90 की परिभाषा

अगर किसी व्यक्ति से डरा-धमका कर या किसी भी प्रकार का भय दिखा कर या किसी भी प्रकार से गुमराह, भ्रमित करके या 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति से या कोई पागल व्यक्ति से या किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध नशीली दवा पिलाकर ली गई सहमति (स्वीकृति) डॉक्टर द्वारा ली गई है वह धारा 90 के अंतर्गत अवैध होगी एवं ऐसे किसी व्यक्ति (डॉक्टर) को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 87, 88, 89 के अंतर्गत किसी भी प्रकार बचाव नहीं होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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