376 के केस में क्या महिला की मर्जी के बिना मेडिकल जांच कराई जा सकती है - CrPC SECTION-164A

किसी महिला की लज्जा भंग करना भारत में गंभीर अपराध माना जाता है। आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराधी को कड़े दंड का प्रावधान है। साक्ष्य एकत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा पीड़ित महिला की मेडिकल जांच कराई जाती है परंतु यदि पीड़ित महिला अथवा उसके परिजन मेडिकल जांच कराने से मना करते हैं तब पुलिस क्या करेगी। आइए पढ़ते हैं:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 164 क की परिभाषा:-

कोई भी महिला जो बलात्संग के अपराध से पीड़ित है। तब उसकी मेडिकल जांच चौबीस घंटे के भीतर किसी नज़दीक सरकारी अस्पताल में शासकीय डॉक्टर द्वारा की जाएगी। अगर नजदीक में में कोई शासकीय हॉस्पिटल उपलब्ध नहीं है तब दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 53 में परिभाषित किसी भी चिकित्सक से महिला या महिला के नातेदार, मित्र की सहमति से मेडिकल टेस्ट किया जाएगा, जैसा महिला एवं महिला के नातेदार उचित समझे।

डॉक्टर द्वारा महिला की मेडिकल रिपोर्ट कैसे तैयार होती है जानिए:-

1. रिपोर्ट में सबसे पहले पीड़ित महिला का नाम एवं महिला को किसके द्वारा लाया गया है उसका नाम पता लिखा जाएगा।
2. महिला की उम्र।
3. डीएनए प्रोफ़ाइल करने के लिए स्त्री के शरीर से प्राप्त सामग्री का वर्णन।
4. स्त्री के शरीर पर अगर कोई क्षति हुए हैं तो उसकी जानकारी।
5. स्त्री की मानसिक स्थिति कैसी है।
6. कोई अन्य जानकारी जो सबूत या तथ्यों के लिए आवश्यक होगी।
नोट:- मेडिकल परीक्षण का प्रारंभिक एवं समाप्ति का समय स्पष्ट रूप से अंकित किया जाएगा।

डॉक्टर महिला की मेडिकल रिपोर्ट को बिना विलम्ब के अन्वेषण अधिकारी को देगा एवं अन्वेषण अधिकारी इस रिपोर्ट को न्यायिक मजिस्ट्रेट को दस्तावेज के रूप में भेजेगा।
नोट:- मेडिकल टेस्ट के लिए पीड़ित महिला की या उसके नातेदार की सहमति होना आवश्यक है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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