शक्ति रावत। एक काल्पनिक सवाल आपसे पूछता हूं। आपको एक ऐसे मिशन पर भेजा जाना है। जहां आपके वापस लौटकर आने की कोई गांरटी नहीं है। पूरी दुनिया इस मिशन को पागलपन कह रही है, दूसरों की बात तो छोडिय़े जो आपको मिशन पर भेज रहा है, उसे भी भरोसा नहीं है, कि मिशन पूरा होगा और आप वापस लौटकर आएंगे। यह मिशन इतना रिस्की है, कि दुनिया की कोई बीमा कंपनी आपका बीमा करने को भी तैयार नहीं है। अब आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगे। क्या आप इस मिशन पर जाने का रिस्क उठाएंगे या पीछे हट जाएंगे, और यह भी जान लीजिये कि अगर यह मिशन सफल होता है, तो आपका नाम इंसानों के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जाएगा।
सरकार गारंटी लेने और कंपनियां बीमा करने को तैयार नहीं थीं
अब आइए साल 1969 में। अमेरिका के मिशन मून की तैयारी पूरी हो चुकी है। नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिंस को चांद पर जाने के लिए चुना जा चुका है। मिशन इतना रिस्की है, कि नासा और अमेरिका की सरकार को भी भरोसा नहीं कि ये तीनों सकुशल वापस लौटेंगे। अमेरिका की कोई बीमा कंपनी इनका बीमा करने को तैयार नहीं है, और पूरी दुनिया ने अमेरिका के इस महत्वकांक्षी मिशन को सनक और पागलपन कहा है। नील अपनी वायोग्राफी में लिखते हैं। हमारे ऊपर पूरी दुनिया की नजरें थीं, अब मिशन से पीछे हटने का सवाल ही नहीं था। हमें पता था हम क्या कर रहे थे, और हो सकता था, लौटकर धरती पर कभी भी वापस ना आ पाएं।
इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती सामने थी, और इन तीनों ने रिस्क उठाने का फैसला ले लिया। जब बीमा नहीं हो सका तो तीनों ने अपने कपड़ों से लेकर कई चीजों पर अपने साईन कर दिये। ताकि उनके ना रहने पर उनके परिवार के लोग इन चीजों को बेचकर घरों का खर्चा चला सकें, और 20 जुलाई 1969 वह ऐतिहासिक तारीख जब नील आर्मस्ट्रांग और बजएल्ड्रिन ने चांद पर उतरकर इतिहास रच दिया। यह तारीख दुनिया की मानवजाति के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। क्योंकि चांद पर पहली बार मानव ने अपने कदम रखे।
MORAL OF THE STORY
बिना रिस्क लिये आप जीवन में कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं कर सकते। दुर्गम कठिन और मुश्किल रास्तों पर चलकर ही कामयाबी का पत्थर गाडा जा सकता है। अगर इन तीनों ने चांद पर जाने का रिस्क नहीं उठाया होता, तो आज शायद हम और आप इनके नाम भी नहीं जानते होते। -लेखक मोटीवेशनल स्पीकर, पॉडकास्ट और लाइफ मैनेजमेंट गुरू हैं।