दिल्ली पुलिस का 12वीं पास सिपाही मात्र 10 साल में IPS बन गया / INSPIRATIONAL STORY WITH MORAL

नई दिल्ली। लोग एक अदद सरकारी नौकरी के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। यदि मिल जाए तो गंगा नहा लेते हैं। जैसे जीवन का अंतिम लक्ष्य प्राप्त कर लिया हो। यदि नौकरी पुलिस विभाग में हो तो जैसे भगवान की असीम अनुकंपा हो गई लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी हैसियत को भूल कर लाइफ के लिए ऐसे गोल सेट करते हैं, जिन्हें अचीव करने के बाद दुनिया के उन लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाती है, जो दो रोज पहले तक आंखें दिखाया करते थे।

सरकारी नौकरी के बाद लोग क्रमोन्नति का ही इंतजार करते हैं लेकिन इस सिपाही ने ऐसा नहीं किया 

यदि सरकारी नौकरी लग जाए तो ज्यादातर लोग एक निर्धारित अवधि के बाद प्राप्त होने वाली क्रमोन्नति का ही इंतजार करते हैं। सिपाही से हेड कांस्टेबल, फिर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर पर पहुंचते-पहुंचते रिटायर हो जाते हैं परंतु दिल्ली पुलिस का एक सिपाही मात्र 10 साल में सिपाही से सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की पोजीशन पर पहुंच गया है। यह आउट ऑफ टर्न प्रमोशन उसे किसी क्रिमिनल का एनकाउंटर करने से नहीं मिला बल्कि UPSC सिविल सर्विस एग्जाम 2019 पास करने से मिला है। अपॉर्चुनिटी तो हर कर्मचारी के हाथ में होती है परंतु इसका यूज कोई नहीं करता।

जब दिल्ली पुलिस में सिपाही बना तो मात्र 12वीं पास था, अब UPSC

मूल रूप यूपी के हापुड़ स्थित पिलखुआ निवासी फिरोज आलम ने वर्ष-2010 में जून महीने मे दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था। उस वक्त फिरोज ने महज 12 वीं की पढ़ाई की थी। इसके बाद नौकरी के दौरान ही पत्राचार माध्यम से उसने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया और वर्ष-2014 से ही यूपीएससी की परीक्षा देने लगा। पहले दो साल तो उसका प्री भी नहीं निकल सका, लेकिन इसके बाद उसने लगातार चार बार मेन परीक्षा दिया। उसने अपने आखिरी चांस में यूपीएससी को क्वालिफाई किया है। उसके परिवार में छह भाई और चार बहनें हैं। भाई-बहनों में फिरोज सातवें नबर पर है।

MORAL OF THE STORY

मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि इंसान की औकात वह नहीं होती जो लोग उसे बताते हैं बल्कि वह होती है जो वह खुद अपने लिए तय करता है। पुलिस डिपार्टमेंट का सिपाही है शुरुआत के 10 साल टीआई के लिए चाय-समोसे लाने और वारंट तामील में निकाल देता है लेकिन कुछ लोग होते हैं जो अपने लिए आसमा रिजर्व करा लेते हैं।

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