रेडियोमीटर, क्या है और कैसे काम करता है - GK IN HINDI

Why does the radiometer rotate as soon as the light comes

आज अपने सामने एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब वैज्ञानिक आज तक नहीं दे पाए। फोटो में पुराने फिलामेंट वाले बल्ब के जैसा दिखाई देने वाले इस यंत्र को रेडियोमीटर कहते हैं। इसकी खास बात यह है कि रेडियोमीटर के भीतर ना तो कोई बैटरी होती है और ना ही कोई इलेक्ट्रिक सप्लाई दी जाती है फिर भी प्रकाश के संपर्क में आते ही रेडियोमीटर स्पिन करने लगता है, इसके पंख घूमने लगते हैं। 

रेडियोमीटर क्या है और किस काम आता है

ज्यादातर रेडियोमीटर पुराने फिलामेंट वाले बल्ब जैसे आकार में बनाए जाते हैं। इसके अंदर चार पंखुड़ियां होती है। हर पंखुड़ी की एक साइड ब्लैक और दूसरी साइड चमकदार होती है। जैसे ही इस यंत्र के पास प्रकाश आता है या फिर इस यंत्र को प्रकाश के बीच तक ले जाया जाता है, इसकी पंखुड़ियां अपने आप घूमने लगती है। इसे रेडियोमीटर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी सहायता से वैज्ञानिक प्रकृति के प्रकाश का पता लगाते हैं। जितना ज्यादा प्रकाश होगा, रेडियोमीटर की पंखुड़ियां उतनी ही तेजी से स्पिन करेंगी।

दुनिया में मौजूद रहस्यमई यंत्र रेडियोमीटर

यह यंत्र दिखने में बहुत साधारण जरूर है लेकिन क्या आपको पता है कि आज तक कोई वैज्ञानिक यह नही बता पाया कि पंखी धूप में रखने पर घूमती क्यूं है। पिछले 100 साल से बहुत से लोगों की बहुत सी थ्योरी आईं लेकिन जैसे ही उनकी थ्योरी को परीक्षण पर लाया जाता है कुछ ना कुछ गड़बड़ निकल कर आ जाती है। दुनिया भर के वैज्ञानिक आज तक किसी एक थ्योरी पर सहमत नहीं हो पाए हैं, अभी भी ये एक रहस्य ही बना हुआ है। 
स्रोत: पुस्तक 'व्हाट आइंस्टीन टोल्ड हिज बार्बर' लेखक: रोबर्ट वोलके। लेखक: आचार्य हिमांशु भारद्वाज (अतिथि शिक्षक) मध्य प्रदेश
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