धारा 144 में अपनी सुरक्षा के नाम पर हथियार लेकर घूम सकते हैं या नहीं, पढ़िए IPC SECTION 153AA

जब भी कोई मजिस्ट्रेट किसी क्षेत्र विशेष में धारा 144 लागू करता है तो इसका मतलब खतरा या सामान्य जनजीवन को प्रभावित करना नहीं होता बल्कि जनता को खतरे से बचाने के लिए सामान्य जनजीवन को व्यवस्थित करना होता है। कई लोग इसे खतरा मानकर अपने लाइसेंसी हथियार साथ लेकर घूमने लगते हैं। कुछ लोग मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद आयोजित सामूहिक कार्यक्रम जैसे जुलूस, विवाह समारोह अथवा कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम में हथियार लेकर पहुंच जाते हैं। ऐसे सभी लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 कक के तहत सजा का प्रावधान किया गया है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 153-कक की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति ऐसे स्थान पर जहाँ दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144- क के अंतर्गत कोई लोक सूचना दी गई है कि ऐसे स्थान पर लोक-शांति बनाये रखे, या कोई स्थान सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया है वहाँ पर निम्न कार्यक्रम के आयोजन में जानबूझकर किसी भी प्रकार के आयुध हथियार लेकर जाए:-
1. किसी भी सार्वजनिक जुलूस में।
2. किसी सामुहिक व्ययाम (योगा कार्यक्रम में) ।
3.किसी सार्वजनिक प्रशिक्षण, आयोजन आदि में।
 तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 153- कक, का दोषी पाया जाएगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 153 कक के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट के पास होता है।
सजा- इस अपराध के लिए छः माह की कारावास और 2,000 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है। 

हथियार से तात्पर्य: यहां हथियार से तात्पर्य किसी भी प्रकार की वस्तु जो किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करने के उपयोग में लाई जा सकती है। बंदूक और पिस्तौल के अलावा तलवार से लेकर चाकू तक सभी प्रकार के धारदार हथियार के अलावा लाठी, ठंडा एवं छड़ी को भी उपरोक्त परिस्थिति में हथियार माना गया है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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