भारत सरकार के प्रति घृणा उत्पन्न करना, देशद्रोह होता है या राजद्रोह जानिए - ASK IPC

अगर कोई व्यक्ति ऐसा कृत्य करते हैं जिससे आम नागरिकों में भारत की सरकार के प्रति घृणा, अवमान या शत्रुता की भावना उत्पन्न होती हैं, तब कुछ लोग इसे देशद्रोह का अपराध कहते हैं। लेकिन भारतीय दण्ड संहिता में ऐसा कृत्य करना देशद्रोह का अपराध नही राजद्रोह का अपराध होता है। दण्ड संहिता के देशद्रोह शब्द को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है। राजद्रोह का आशय वास्तव में राज्य या भारत सरकार की मानहानि से होता है। कह सकते हैं कि यदि किसी सुस्थापित सरकार की मानहानि की जाए तो वह राजद्रोह के अपराध के अंतर्गत दंडनीय होगा।

भारतीय दण्ड़ संहिता,1860 की धारा 124 क की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति द्वारा बोले गए, लिखे गए, संकेतों अथवा दृश्य-रूपण (वीडियो नाटक, फिल्म) के माध्यम से विधि द्वारा स्थापित भारत सरकार या राज्य सरकार के प्रति घृणा, अवमान, या शत्रुता की भावना उत्पन्न करवाएगा अर्थात सरकार के खिलाफ उकसाना, भड़काना। तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 124 क के अन्तर्गत राजद्रोह करने का दोषी पाया जाएगा।

विधि द्वारा स्थापित सरकार का अर्थ क्या है

विधि द्वारा स्थापित सरकार का अर्थ है सरकार के रूप में कार्य कर रहे व्यक्ति समूह से है, जो सरकार के प्रशासन कार्य करने के लिए अधिकृत है। न कि किसी व्यक्ति विशेष से जो सरकार में शामिल है।
नोट:- किसी राज्य या केंद्र सरकार के मंत्री को सत्ता से निकाल बाहर करने या संसद द्वारा पारित किसी कानून को रद्द करने के लिए कोई आंदोलन चलाया जाना राजद्रोह का अपराध नहीं होगा। जब तक कि उसमें कोई अवैध तरीके न अपनाए गए हो।】

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 124-क के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार सत्र न्यायालय को होता है। सजा- इस धारा के अपराध के लिए आजीवन कारावास एवं जुर्माना या तीन वर्ष की कारावास एवं जुर्माना या केवल जुर्माने से भी दाण्डित किया जा सकता है।

उधरणानुसार वाद:- 'रामकुरुप बनाम सिरकार' के मामले में तत्कालीन त्रावणकोर-कोचीन उच्च न्यायालय ने विनिशिचत किया कि राजद्रोह के अपराध के लिए आरोपी के विरुद्ध यह सिद्ध कर देना पर्याप्त है कि उसके प्रकाशन के कारण लोगो के मन में भारत सरकार के प्रति घृणा, अवमान, अप्रीति की भावना प्रदीप्त हुई थी या होने की संभावना थी। तथा यह आवश्यक नहीं है कि इसके कारण लोग सरकार के विरुद्ध विद्रोह या विप्लव करने के लिए उकसाए गये थे या उकसाएं जाने की संभावना थी। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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