मालिक की चल अचल संपत्ति में गबन करने वाले नौकर के खिलाफ FIR की धारा, यहां पढ़िए - Legal advice

पिछले कुछ दिनों पूर्व हमने आपको धारा 381 के बारे में बताया था, जिसमें हमने आपको बताया था की कोई लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जा से संपत्ति को चुराना उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दंडनीय अपराध होता है। आज की धारा भी उसी धारा के समान्तर है। इसी धारा में लिपिक या सेवक के पास रखी स्वामी की संपत्ति को बेईमानी से खर्च कर लेना अपराध होता है,जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 408 की परिभाषा:-

कोई मालिक अपनी अधीन कार्यालय या घर में काम करने वाले लिपिक या नोकर को कुछ संपत्ति विश्वास तौर पर रखने के लिए दे(संपत्ति से तात्पर्य पैसे, दस्तावेज, गहने आदि।) ओर सेवक या लिपिक इनका बेईमानी पूर्वक गबन कर लेता है, तब वह धारा 408 का दोषी होगा।

उधरणानुसार वाद:- ब्रजकिशोर बनाम पंडित चंद्रिका प्रसाद- न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि जहाँ सेवक ने मालिक के लिए वसूली की गई कोई संपत्ति या राशि, मालिक को सौपने से इन्कार किया तो वह सेवक धारा 408 के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 408 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं। सजा:- इस अपराध के लिए सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।  :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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