दंश कोशिका किसे कहते हैं - what is Stinger cell or Nematocyte - INTERESTING SCIENCE IN HINDI

यह तो हम सभी जानते हैं, कोशिका जीवधारियों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। प्रत्येक जीव या पौधा कोशिकाओं से ही बना है। अगर कोशिका नहीं है तो जीवन भी संभव नहीं है परंतु आज हम बात करेंगे एक विशेष प्रकार की कोशिकाओं की जिन्हें दंश कोशिका (stinger cell) कहा जाता है परंतु दंश कोशिकाओं को जानने से पहले जंतु जगत का वर्गीकरण जानना आवश्यक है।

जंतु जगत का वर्गीकरण

दंश कोशिकाओं को जानने से पहले हमें जंतु जगत का वर्गीकरण (classification) जानना आवश्यक है। मोटे तौर पर पूरे जंतु जगत को दो भागों में बांटा जाता है। अकशेरुकी (Invertebrates) तथा कशेरुकी (Vertebrates)।  आम बोलचाल की भाषा में कहें तो   बिना हड्डी वाले और  हड्डी वाले। परंतु आज बात करेंगे  बिना हड्डी वाले यानी, अकशेरुकी जीवो की।

फाइलम सीलेंट्रेटा या निडेरिया की विशेषता

तो अकशेरुकी जीवो के अंतर्गत पाया जाने वाला जीवो का ऐसा संघ या फाइलम (phylum) जिसमे 9000 से भी अधिक जातियाँ (species) पाई जाती है। जिसमें ऊतक स्तर (tissue level) या अंग स्तर (organ level) का संगठन तथा रेडियल सिमेट्री (Radial symmetry)पाई जाती है, सीलेंट्रेटा(coelenterata) या नीडएरिया (Cnidaria ) कहलाता है।
इस संघ का पुराना नाम सीलेंट्रेटा है परंतु दंश कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण ही इसका नाम नीडेरिया (cnidariya)  रखा गया है।
इस संघ में में पाए जाने वाले जीव अधिकांशतः समुद्री या कभी कभार ताजे पानी (Hydra) में भी पाए जाते हैं।
उदाहरण- हाइड्रा (Hydra),स्टार फिश (star fish or Astera) ,   फाईसेलिया  (physalia ), ओबेलीया( Obeliya or Seafur) आदि।
इनको सामान्यतः झूठी मछलियां (jelly fish)कहा जाता है।

दंश कोशिकाओं की विशेषताएं

दंश कोशिकाएं मुख्य रूप से मुंह के चारों ओर पाई जाती हैं। इनका मुख्य कार्य इन जीवो की सुरक्षा (Defence) तथा बचाव (offence) करना होता है। यह कोशिकाएं बहुत अधिक संवेदी (sensory) होती हैं जिसके कारण अपने आसपास के खतरे का पता आसानी से लगा लेती हैं। चूँकि इन जीवो में किसी भी प्रकार का तंत्रिका तंत्र (Nervous system) नहीं पाया जाता। अतः इन्हें खतरों से बचाने के लिए दंश कोशिकाएं पाई जाती हैं। सीलेंट्रेटा की कुछ और विशेषताओं के बारे में अगले आर्टिकल में जानेंगे। लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्यप्रदेश के विदिशा में साइंस की टीचर हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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