INDORE के प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना का इलाज ₹100000 रोज / MP NEWS

इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने 'आपदा को अवसर' बना लिया है। गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि प्राइवेट अस्पतालों में इलाज फ्री है लेकिन इंदौर में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में 1 दिन का ₹100000 तक चुकाना पड़ रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नाराजगी जताते हुए इंदौर कलेक्टर को प्राइवेट अस्पतालों पर लगाम लगाने के लिए कहा था परंतु प्राइवेट अस्पताल संचालकों का कहना है कि हम अपना बिल कब नहीं करेंगे। हमने प्रशासन को बता दिया है। कुल मिलाकर प्राइवेट अस्पतालों के सामने सरकार घुटने टेक चुकी है। आप खुद पढ़िए कुछ मामले जिनमें कोरोनावायरस का इलाज कैंसर से भी ज्यादा महंगा पड़ा।

कोरोनावायरस के कारण पेट दर्द का इलाज भी ₹550000 में किया

भोपाल के अल नूर खान कोरोना पॉजिटिव निकले। 23 जुलाई से 5 अगस्त तक मेदांता अस्पताल में भर्ती रहे। बिल साढ़े पांच लाख रु. का बना। यहां से डिस्चार्ज हो 5 से 21 अगस्त तक एप्पल हॉस्पिटल में भर्ती रहे। उन्हें बस पेट दर्द था। यहां बिल साढ़े पांच लाख का बना। कुल खर्च 11 लाख रुपए आया। 

सेल्बी हॉस्पिटल में 4 दिन का बिल 1.63 लाख

काेरोना पीड़ित खुशबू अग्रवाल 21 अगस्त को शैल्बी हॉस्पिटल में भर्ती हुई थीं। यहां उन्हें रूम रेंट के 15375 रुपए रोज देना पड़े। डॉक्टर विजिट के नाम पर 5000 रुपए रोज अलग से देना पड़े। महज चार दिन में ही उनका बिल एक लाख 63 हजार रु. हो गया।

एप्पल अस्पताल में 5 दिन का बिल ₹300000

महू के दुर्गालाल वर्मा 25 अगस्त को एप्पल अस्पताल में भर्ती हुए और 30 अगस्त को डिस्चार्ज हो गए। अस्पताल में उन्हें एक दिन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। बाकी समय प्राइवेट रूम में दवाई चलती रही। पांच दिन में उनका बिल तीन लाख रुपए हो गया। दवाई का खर्च अलग। 

अस्पताल संचालकों के बयान
स्टाफ की कमी है। जो स्टाफ है, उसे तीन गुना वेतन दे रहे हैं। इलाज भी महंगा है। अलग से चार्ज नहीं ले रहे।
डॉ. राजेश भार्गव, डायरेक्टर, सीएचएल

किट का खर्च सभी में बांट रहे
पीपीई किट का चार्ज मरीजों की संख्या में बांटकर ले रहे हैं। मरीज ज्यादा दिन भर्ती हो तो बिल अधिक हो सकता है।
राहुल पाराशर, जीएम बॉम्बे हॉस्पिटल

एपल हॉस्पिटल : जरूरत के हिसाब से चार्ज लगते हैं
हमारे यहां मरीज की जरूरत के हिसाब से ही मैनेजमेंट ने चार्ज तय किए हैं। कोरोना काल में स्टाफ का संकट बढ़ गया है। खर्च भी ज्यादा है। इसी मान से बिल बनाए जा रहे हैं। प्रशासन को भी बता दिया।
- शुभम येवले, कोरोना वार्ड के एचओडी

अपोलो हॉस्पिटल : हमारे रेट हैदराबाद से तय होते हैं
अस्पताल की सभी व्यवस्थाएं हैदराबाद से को-आर्डिनेट होती हैं। वहीं से रेट तय किए जाते हैं। कोरोना मरीजों के ज्यादा बिलों के संबंध में हैदराबाद से बात करने के बाद ही बता पाऊंगा।
- अभिलाष पिल्लै, सीईओ राजश्री अपोलो हॉस्पिटल

अरिहंत हॉस्पिटल : स्पेशल केयर चार्ज अलग से लेते हैं
कोरोना मरीजों के लिए हमारे अस्पताल में रूम रेंट और अन्य चार्ज पहले की तरह ही हैं। सिर्फ 2500 रुपए रोज के हिसाब से स्पेशल केयर चार्ज ले रहे हैं। यह पीपीई किट और अन्य जरूरी चीजों के लिए हैं।
- महेंद्र बांगानी, संचालक

मेदांता हॉस्पिटल : हमारे चार्ज कम, दूसरे के यहां लूट
हमारे यहां के चार्ज दूसरे अस्पतालों की तुलना में कम हैं। जो लगता है, उसी का चार्ज मरीजों से लिया जा रहा है। पीपीई किट के चार्ज हम सबसे कम ले रहे हैं। दूसरे अस्पतालों में तो लूट मची है।
- डॉ. वीरेंद्र चौधरी, कोरोना व्यवस्था को-ऑर्डिनेटर

चोइथराम अस्पताल : खर्च निकल सके, उतना ही ले रहे
हम कोविड मरीजों से उतना चार्ज ही ले रहे हैं, जितने में अस्पताल के सारे खर्च और कर्मचारियों का वेतन निकल सके। हमारे चार्ज दूसरे अस्पतालों की तुलना में सबसे कम हैं।
- अमित भाटिया, डिप्टी डायरेक्टर

शैल्बी हॉस्पिटल : हमारे रूम प्रीमियर हैं, यही चार्ज थे
हम कोरोना के नाम पर अलग से चार्ज नहीं कर रहे हैं। हमारे रूम प्रीमियर हैं। इसलिए रेंट ज्यादा है। नर्सिंग और अन्य सेवाओं के चार्ज अलग से देना होता है। कोविड आने से पहले भी यही चार्ज थे।
-डॉ. नरेंद्र पटेल, कोरोना व्यवस्था को-ऑर्डिनेटर

इंदौर में कैंसर इलाज का खर्च करीब 10 हजार रुपए रोज
कैंसर के मरीजों को एक दिन आईसीयू में रखने का खर्च करीब आठ हजार रुपए होता है। उन्हें प्राइवेट रूम में शिफ्ट करने पर पांच छह हजार रुपए रूम रेंट और चार हजार रुपए में डॉक्टर विजिट, नर्सिंग केयर, दवाई व अन्य तमाम खर्च आ जाते हैं। कैंसर का मरीज अच्छे से अच्छे अस्पताल में भर्ती हो तब भी औसत खर्च करीब 10 हजार रुपए प्रतिदिन ही आता है। 10 दिन में उसे इलाज के नाम पर करीब एक लाख रुपए ही चुकाने होते हैं।
- डॉ. नितिन तोमर, कैंसर सर्जन

सीएमएचओ को शिकायत का इंतजार
शहर के अस्पतालों में कोरोना के इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी वसूली की शिकायत किसी ने नहीं की है। हालांकि इन हालातों में लाखों रुपए के बिल देना गलत बात है। कोई शिकायत करेगा तो हम अस्पतालों की जांच कराने के बाद कार्रवाई करेंगे।
- डाॅ. पूर्णिमा गाडरिया, सीएमएचएओ

लाचार सांसद शंकर लालवानी का बयान
अस्पतालों की मनमानी को लेकर हमने मई में प्रस्ताव बनाया था। इसके मुताबिक कोरोना के इलाज के लिए पैकेज तय करना था। प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ है। मुझे नहीं पता कि प्रस्ताव कहां है? इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात की है। दो-चार दिन में ठोस निर्णय ले लिया जाएगा।
- शंकर लालवानी, सांसद

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