नौकरी के लिए विधि विरुद्ध शर्तें निर्धारित करने वाले के खिलाफ किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा - ASK IPC

Bhopal Samachar
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर कारपोरेट कंपनियों तक किसी व्यक्ति को नौकरी पर नियुक्त करने के बदले नियोक्ता द्वारा अपने तरीके से शर्तें निर्धारित की जाती हैं। आवेदक के सामने विकल्प होता है कि यदि वह शर्त स्वीकार नहीं करता तो आवेदन वापस ले सकता है। क्योंकि रोजगार जीवन यापन के लिए अनिवार्य है अतः जीवित रहने की मजबूरी के कारण कई बार कर्मचारी या नौकर विधि विरुद्ध शर्तों को स्वीकार कर लेते हैं परंतु इस तरह की शर्तें ना केवल शून्य मानी जाती हैं बल्कि शर्त निर्धारित करने वाले नियोक्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता में गंभीर कार्रवाई का प्रावधान है।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की 370 की परिभाषा:-

जो कोई व्यक्ति निम्न तरीके से अवैध मानव व्यापार करेगा या दुर्व्यापार करेगा:-
1. धमकियां देकर।
2. बल या किसी अन्य प्रकार से प्रपीड़न(पीड़ा) देकर।
3. अपहरण या व्यपहरण द्वारा।
4. छल- कपट का प्रयोग करके।
5. शक्ति का या ताकत, पद का गलत प्रयोग करके। 
6. विश्वास दिलाकर या उत्प्रेणा द्वारा किसी व्यक्ति को भर्ती करवाना या सरकारी नौकरियों या प्राइवेट नौकरियों के लिए अवैध व्यापार करना, लोगो को अवैध आश्रय देने की बात करना, मसाज पार्लर से अवैध व्यापार करना आदि।
जो व्यक्ति उपयुक्त कार्य करेगा या ऐसा अवैध मानव व्यापार करेगा वह व्यक्ति धारा 370 का दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 370 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं।यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिक सेशन न्यायालय को होता है। सजा:- इस धारा के अपराध की सजा को छह भागों में बाँटा गया है:- 
1. व्यक्ति का अवैध मानव व्यापार करना:- 7 वर्ष की कारवास जो दस वर्ष तक कि हो सकती है और जुर्माना।
2. अधिक व्यक्तियों का दुर्व्यापार करना, एवं 3. किसी नाबालिग का दुर्व्यापार करने पर:- 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक और जुर्माना हो सकता है।
4. अधिक नाबालिक व्यक्ति का दुर्व्यापार करने पर:- 14 वर्ष की कारावास से आजीवन तक कि कारावास हो सकती है।
5. एक अवयस्क व्यक्ति को एक से अधिक बार अवैध मानव व्यापार का लाभ लेना एवं 6. लोकसेवक या किसी पुलिस अधिकारी का अवयस्क के अवैध मानव व्यापार से अंतर्वलित होना :- आजीवन कारावास से जब तक मृत्यु न हो तब तक और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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