असहाय यानी 18 कम वर्ष से कम आयु वाला, मानसिक रूप से कमजोर, बीमार या फिर शारीरिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों की देखभाल के लिए कई बार रिश्तेदार तो कभी-कभी नर्स या फिर केयरटेकर नियुक्त किए जाते हैं। समय के साथ उन्हें असहाय व्यक्ति की कमजोरियों का पता चलता है और धीरे-धीरे उसकी देखभाल में गड़बड़ी करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इसे बचाने कौन आएगा परंतु शायद वह नहीं जानते कि एक अज्ञात इंफॉर्मेशन पर उनके खिलाफ ना केवल आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है बल्कि उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 491 की परिभाषा:-
अगर कोई असहाय व्यक्ति को वैध (कानूनी) तरीके से संविदा पर देख-रेख भरण-पोषण के लिए संरक्षण लेता है, और वह व्यक्ति विधि के नियमों का पालन जानबूझकर नहीं करता है, तब वह धारा 491 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- असहाय व्यक्ति के अंतर्गत किशोर वयस्क, चित्तविकृत (मानसिक रूप से कमजोर), रोगी या शारिरिक दुर्बलता से ग्रसित व्यक्ति आदि।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 491 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा का अपराध शमन (समझौता योग्य) होता है। इसका समझौता उस व्यक्ति के साथ होता है जिसके साथ अपराधी ने संविदा की है। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- तीन महीने की कारावास या दो सौ रुपये जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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