अमित चतुर्वेदी। लोकशिक्षण संचालनालय, भोपाल द्वारा जारी आदेश स्पष्टीकरण दिनाँक 11/05/2020, जो कि 30 जून को रिटायर कर्मचारियों को 1 जुलाई, को देय वेतन वृद्धियों के विषय मे जारी किया गया है। आखिर क्या कहता है यह स्पष्टीकरण समझते हैं:-
स्पष्टीकरण दिनाँक 11/05/2020(लोक शिक्षण द्वारा जारी), न्यायालय द्वारा पारित कानून का खंडन नही करता है, न ही किसी के पास ऐसी अधिकारिता है। पूर्व निर्णयों के प्रकाश में, विभाग के समक्ष प्रस्तुत अभ्यावेदन के निराकरण करने का अधिकार उनके पास सुरक्षित है। कदाचित, लंबित प्रकरणों में प्रतिउत्तर के निर्देश भी उक्त आदेश में है। यह सरकार की प्रशासनिक कार्यवाही है। कर्मचारी के विरुद्ध अभ्यावेदन का निराकरण, स्थापित विधि के अस्तित्व में रहते हुए, उसके सेवा लाभ, वेतन वृद्धि की पात्रता को समाप्त नही करता है।
कर्मचारी के विरुद्ध पारित आदेश के गुण दोष के परीक्षण का अधिकार सदैव ही, सक्षम न्यायालय के पास होता है। संबंधित सरकार भी, कोर्ट की दृष्टि में व्यक्ति होती है। कर्मचारियों की भाँति, उन्हें कानूनी लड़ाई का अधिकार है। परंतु, वर्तमान में 30 जून को रिटायर कर्मचारियों को जुलाई में मिलने वाली वेतन वृद्धि के संबंध में विधि, स्पष्ट एवम विवाद रहित है। उक्त संबंध में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, प्रधान पीठ, जबलपुर द्वारा, कर्मचारियों के पक्ष में हाल के दिनों मे याचिकाकर्ता कर्मचारी के पक्ष में विधि प्रतिपादित की गई है।
30 जून को रिटायर कर्मचारियों को एक जुलाई में देय इंक्रीमेंट से क्यों वंचित नही किया जा सकता है?
30 जून को सेवा से रिटायर होने वाले, शासकीय कर्मचारियों को एक जुलाई को देय वेतन वृद्धि का लाभ मिलना चाहिये, इस संबंध में कर्मचारियों के बीच चर्चा है। 30 जून को रिटायर कर्मचारियों को, निम्नलिखित विधिक आधारों पर, जुलाई में देय, वेतन वृद्धि का पात्र माना गया है।
1--कर्मचारी द्वारा वर्ष भर सेवा करने के पश्चात, सेवा के बदले में मिलने वाले, सेवा लाभ, कर्मचारी के पक्ष में, विधिक/कानूनी अधिकार उत्पन्न करते हैं, उक्त उद्भूत विधिक अधिकार से कर्मचारी को वंचित नहीं किया जा सकता है, ना ही, निषेध किया जा सकता है। अतः, कर्मचारी को जुलाई में मिलने वाले, इंक्रीमेंट से वंचित नही किया जा सकता है। जब तक किसी दूसरे कारण से वेतन वृद्धि को नही रोका गया हो।
2-- ऐसा कोई नियम नहीं है जो, पूर्व में की गई सेवा लाभ या वेतन वृद्धि प्राप्त करने के लिए, यह शर्त अधिरोपित करता हो, कि कर्मचारी को एक जुलाई को सेवा में निरंतर रहना पड़ेगा।
3---वेतन में, वेतन वृद्धि प्रदान किया जाना, सेवा की एक शर्त है । वेतन वृद्धि, कलंक रहित सेवा के लिए, एक पारितोषिक है, जो कि एक अधिकार के रूप में परिवर्तित हो जाता है। वेतन वृद्धि प्रदान करने की कालावधि एक वर्ष है। कलंक रहित सेवा पूरे वर्ष देने के पश्चात , शासकीय कर्मचारी , वेतन वृद्धि का पात्र हो जाता है।
4-- एक जुलाई को कर्मचारी, सेवा में नही था, इस प्रकार के अति तकनीकी कारणों को स्वीकार नही किया जा सकता है। एक वर्ष की सेवा के बाद, कर्मचारी को वेतन वृद्धि मिलनी चाहिए, जब तक कि , वह वेतन वृद्धि किन्ही अन्य कारणों से नही रोकी गई हो।
उपरोक्त कारणों के आधार पर, 30 जून को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को कोर्ट ने, जुलाई में देय वेतन वृद्धियों का पात्र माना है।
लेखक श्री अमित चतुर्वेदी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में एडवोकेट हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)