पुलिस में झूठी शिकायत या कोर्ट में झूठे दस्तावेज कितना गंभीर अपराध है, यहां पढ़िए / ABOUT IPC

ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता। वह किसी पर भी झूठे आरोप लगा देते हैं। परिवार और समाज से दंडित नहीं होते तो हौसला बढ़ जाता है। पुलिस में झूठी शिकायत कर देते हैं। कोर्ट में झूठे दस्तावेज पेश कर देते हैं। उन्हें लगता है कि शिकायत झूठी पाई गई तो खारिज हो जाएगी इससे ज्यादा क्या होगा। शायद उन्हें पता नहीं कि यदि उनकी शिकायत झूठी पाई गई तो उनके खिलाफ FIR दर्ज हो सकती है। कोर्ट में झूठे दस्तावेज पेश करने वालों को जेल भेजा जाता है। भाई यह आईपीसी की धारा 204 के बारे में जानते हैं:-

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 204 की परिभाषा:-

किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसे दस्तावेजों (इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भी) को नष्ट करना या हेर-फेर जो अपराध की वास्तिविक घटना को गलत साबित करे ऐसे दस्तावेज को पुलिस अधिकारी को देना या न्यायालय में पेश करना, इस धारा के अंतर्गत एक दण्डनीय अपराध है। पुलिस अधिकारी को झूठी FIR दर्ज कराना या हेर-फेर वाले सबूत को देना भी इस धारा के अंतर्गत अपराध होता है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 204 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। न ही किसी भी प्रकार से समझौता योग्य होते है। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट करते हैं।
सजा:- दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
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बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | 

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