मध्यप्रदेश : 15 साल बाद लौटे हो, पर नये नहीं हो | EDITORIAL by Rakesh Dubey

मध्यप्रदेश ने सरकार ने भी मायावती की धमकी के आगे घुटने टेक दिए, सरकार गिरने के डर से, भला हो प्रदेश के नये विधि मंत्री पीसी शर्मा का उन्होंने कुछ और मुकदमों को इस फेहरिस्त में जोडकर सरकार की लाज रख ली लेकिन वन्देमातरम का गायन रोकना कहीं से भी “विवेकपूर्ण  फैसला” नहीं है। सरकार 15 साल बाद लौटी है पर कांग्रेस नई नहीं है। इस सरकार ने सत्ता में लौटते ही अटल बिहारी वाजपेयी के सुशासन से सबक लेने की बात कही थी। वाजपेयी ने सरकार का मोह छोड़ दिया था। सरकार से ज्यादा जरूरी है देश हित और देश प्रेम।

“वंदेमातरम्”  किसी एक राजनीतिक दल का विचार नहीं है। इस पर न तो कांग्रेस का ठप्पा लगना चाहिए न इसे भाजपा या संघ की बपौती माना जाना चाहिए। ये तो आज़ादी के मतवालों का गीत है और देश भक्ति का प्राण है। जिसे गाते हुए वर्ष १९४२ में मातंगिनी हाजरा ने सीने पर गोलियां खाई थी। उसे अपने इतिहास से जोड़ने वाली कांग्रेस से ऐसे कदम की अपेक्षा नहीं थी। कमलनाथ ने भूल सुधार का आश्वासन दिया है, भूल करने के बाद।

मायावती के मायाजाल में में फंसकर कांग्रेस ने  मध्यप्रदेश और राजस्थान में २ अप्रेल २०१८ को हुई हिंसा के मुकदमे वापिस लेने का फैसला लिया है | यह सवाल भी दोनों पार्टियों से है क्या सर्वोच्च न्यायालय से उपर उसके निर्णय की अवहेलना करने वाले दंगाई हैं ? जिस संविधान ने आपको मुकदमे वापिस लेने का अधिकार दिया है उसी के पन्ने पलटिये | वही संविधान देश में न्यायपालिका को सबसे ऊपर बताता है | यह मात्र बहस या वोट बैंक का मुद्दा नहीं है, उससे ज्यादा है | समाज का ताना-बाना  है | उसे मत तोडिये |

२ अप्रेल २०१८  को १२ राज्यों में महज इसलिए हिंसा हुई थी कि मार्च २०१८ में ही सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून में कुछ बदलाव किया था। इसके विरोध में दलित संगठनों ने २  अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और बिहार समेत १२  राज्यों में हिंसा फैली थी। १४ लोगों की मौत भी हुई थी। हिंसा के बाद प्रशासन ने दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किए थे। क्या मरने वाले किसी दल के मतदाता नहीं थे, क्या देश का कानून इसे सदोष मानव वध मानने को तैयार नही है ? तो फिर ऐसे मुकदमे वापिस लेकर क्या संदेश दे रहे है ? फिर से पी सी शर्मा को बधाई देने का मन है, लाज बचाने की कोशिश के लिए |

मध्यप्रदेश में कुल २३०  विधानसभा सीटें हैं। यहां कांग्रेस ने ११४  सीटों पर जीत हासिल की है । बहुमत के लिए ११६  सीटें चाहिए थी । ऐसे में कांग्रेस ने ३ निर्दलीय, २ बसपा और १  सपा विधायक के समर्थन से सरकार बनाई। सही है, पर क्या यह शर्त थी कि हिंसा के मुकदमे वापिस होंगे | राजनीतिक विद्वेष के मुकदमे हमेशा वापिस हुए है | सबने किये है पर ये हिंसा तो  सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ थी |  मुकदमे वापसी का यह  निर्णय समाज के ताने-बाने के तोड़ने  वाला हो सकता है | सोचिये, आप क्या कर रहे हैं ? आप सरकार में १५ साल बाद लौटे है पर नये नहीं है | आगामी चुनाव और वर्तमान कुर्सी मोह  से ऊपर उठकर सोचिये |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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