भाजपा- कांग्रेस की ग्वालियर-चम्बल में कड़ी परीक्षा | EDITORIAL by Rakesh Dubey

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नामांकन की तिथि आ गई है। अभी तक दोनों प्रमुख दल अपने उम्मीदवार तय नहीं कर सके हैं। तीसरी शक्ति के रूप में बसपा और सपाक्स उभर रही हैं। विभिन्न अंचलों में इनका आधार स्पष्ट होने लगा है। ये दोनों प्रदेश के प्रत्येक अंचल में अपने हिसाब से प्रभाव डाल सकती है। सबसे पहले ग्वालियर-चम्बल अंचल। यूँ तो ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। इस अंचल की 34 विधानसभा सीटों में से 20 सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि कांग्रेस के पक्ष में मात्र 12 सीटें ही आई थी और 2 सीटें बसपा के पक्ष में गई थी।

भाजपा भी इस अंचल को गंभीरता से ले रही है। भाजपा की ओर से केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के अलावा स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया और सांसद अनूप मिश्रा भी यहां सक्रिय हैं। सभी भाजपा के पक्ष में बिगड़े माहौल को साध रहे हैं, मगर गुटबाजी साफ़ दिख रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही के लिए इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी, बहुजन संघर्ष दल और सपाक्स यहां मुसीबत बनेंगे। बसपा और बहुजन संघर्ष दल का तो इस क्षेत्र में खासा प्रभाव पहले से ही है, मगर सपाक्स का प्रभाव एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के चलते खासा इस अचंल में दिखाई दिया है।

पिछले चुनाव में बसपा के खाते में इस अंचल से दो सीटें दिमनी और अंबाह गई थी। इसके अलावा दर्जन भर सीटों पर बसपा प्रत्याशियों के मिले मतों के चलते कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। बसपा इस बार भी इस अंचल में पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी है।  बहुजन समाज पार्टी से अलग होने के बाद बहुजन संघर्ष दल के नाम से अलग पार्टी बनाने वाले फूलसिंह बरैया ने भी इस अंचल को अपनी ताकत बनाया है। बरैया भी इसी क्षेत्र में लगातार बीते पांच सालों से संघर्ष कर रहे हैं। 2013 के चुनाव में बहुजन संघर्ष दल ने इस अंचल की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इस चुनाव में सबलगढ़, मेहगांव, अटेल, गोहद, ग्वालियर, ग्रामीण, भितरवार, सेवढ़ा, भांडेर विधानसभा सीटों पर खासा असर दिखाया था।

एट्रोसिटी एक्ट का खासा विरोध भी इसी अंचल में देखने को मिल रहा है। इस अंचल में हुए विरोध के चलते भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं का घेराव आगे की कठिन राह बता रहा है। वैसे सपाक्स ने प्रदेश में सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारने का फैसला लिया है। इस अंचल में सपाक्स ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है, नाम घोषित होने जा रहे हैं। सपाक्स के अतिरिक्त देवकीनंदन ठाकुर के अखंड भारत मिशन से जुड़े लोग यहाँ अपना रंग दिखा सकते है। ठाकुर 29 अक्तूबर को अपने प्रत्याशियों की घोषणा करेंगे। ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र की कहानी इस बार विचित्र होगी।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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