भारत और ये हिंसक मंसूबे | EDITORIAL

राकेश दुबे@प्रतिदिन। क्या कोई बता सकता है कि अहिंसा, सत्य और सहिष्णुता को मूलमन्त्र मानने वाले देश में राजनीतिक हिंसा का चलन क्यों है ? देश में चल रहे राजनीतिक विचार हिंसा की योजना क्यों बनाते हैं ? क्या इसका कोई हल और समाधान नही हो सकता ? नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत है जो हम दे नहीं सकते उसे लेने का हमे कोई अधिकार नहीं है। महात्मा गाँधी से लेकर राजीव गाँधी तक की हत्या के पीछे कोई न कोई राजनीतिक विचार और विचारक रहा है। दुर्भाग्य ऐसी हर बड़ी हस्तियों की हत्या के कारक और मारक विचार को बदलने के लिए देश में कोई आगे नहीं आया। बड़े व्यक्तित्व की हत्याओं से देश ने कोई सबक नहीं लिया यह मारक विचार अब नीचे तक आ गया है। पश्चिम बंगाल इसका उदाहरण है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सरे आम प्रताड़ना से हत्या तक की संस्कृति जिस भी विचार धारा का अंग हो उसे कल्याणकारी कहना और समझना गलत ही नहीं अपराध है। इस पर देश के सारे राजनीतिक विचारकों देश के सन्दर्भ में सोचना और हल निकलना चाहिए। अभी जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है। 

पुणे की पुलिस ने कोर्ट में एक लेटर पेश करते हुये दावा किया है कि माओवादी पीएम मोदी की 'राजीव गांधी की तरह हत्या' करने की साजिश रच रहे थे। तो क्या यह गंभीर विषय नहीं है। प्रधानमंत्री की किसी व्यक्ति से क्या दुश्मनी हो सकती है ? नरेंद्र मोदी नामक व्यक्ति से मतभेद हो सकते हैं ?  विश्व के कुछ हिस्सों की भांति भारतीय इतिहास प्रधान मंत्री की हत्या का रहा है, प्रधानमंत्री पद पर किसी भी विचारधारा का व्यक्ति हो सकता है। व्यक्ति वहां गौण होता है पद महत्वपूर्ण और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक। हम ये कैसा समाज रच रहे हैं ? देश के मूल विचार और दर्शन में तो किसी भी प्रकार की हत्या स्वीकार्य नहीं है। देश में 2019 में एक सर्वसम्मत प्रधानमन्त्री के चयन का विचार कुछ लोग कर रहे थे। तभी यह खबर आई कि पुणे पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में बताया है कि बुधवार को 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनके संबंध प्रतिबंधित सीपीआई-माओवादी संगठन से हैं। इनके ठिकाने से एक पत्र मिला है, जो प्रधानमंत्री की हत्या के मंसूबे को प्रदर्शित करता है।

देश में प्रचलित विभिन्न विचारधारा जो इस भूमि से उपजी हैं, हिंसा के विरोध में है। विदेशी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए हिंसा को जायज ठहराती है। भारतीय राजनीतिक विचार धारा से उत्पन्न कुछ राजनीतिक दल प्रदेश विशेष में हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं , यही समय है, राजनीतिक विचार का और श्रेष्ठ विचार का। हिंसा का मंसूबा भी तो हिंसा ही है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।
BHOPAL SAMACHAR | HINDI NEWS का 
MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए 
प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !