मप्र: वेदना, व्यथा और रुदन के बाद सड़क पर विधानसभा | EDITORIAL by Rakesh Dubey

राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश विधानसभा में कल जो घटा और अब सड़क पर जो घटने जा रहा है, अभूतपूर्व है। 5 दिन का पावस सत्र डेढ़ दिन में समेटने के लिए पक्ष और प्रतिपक्ष बराबर के साझीदार हैं, जनता ने जिस काम के लिए इन्हें चुना उस मंशा के विपरीत हंगामे के बाद सदन मनमाने तरीके से चला और अब सड़क पर सदन चलाने के अपने प्रयोग को कांग्रेस दोहराना चाहती है। सरकार ने भी “अनिश्चित-काल” की आड़ में सत्रावसान के पूर्व एक बार फिर सदन आहुत करने का विकल्प खोज लिया है। मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में सबसे कम अवधि के लिए बुलाया गया 5 दिन का पावस सत्र डेढ़ दिन भी बमुश्किल चला। सदन के नेता झलक दिखा कर सदन से चले गये, संसदीय कार्य मंत्री मोर्चे पर डटे रहे। जो प्रतिपक्ष [कांग्रेस] आसंदी द्वारा नाम मांगे जाने के बाद भी विधेयकों पर चर्चा के लिए नाम देने में असमर्थ रहा अब वो सडक पर विधानसभा लगाने के अपने उस प्रयोग को दोहराना चाहता है जिसमें पहले भी उसके हाथ कुछ नहीं लगा था और अब भी मीडिया में सुर्खी से ज्यादा कुछ भी हाथ लगता नहीं दिखता है।

वैसे तो इसे 14वीं विधानसभा का अंतिम सत्र होना था। हर सत्र का अवसान एक सामूहिक फोटो की याद्दश्त के साथ होता है। अब प्रदेश की जनता भी यह बात जानने और समझने लगी है कि “ लोकसभा, राज्य सभा और विधानसभा में कोई भी कार्यवाही कार्य मन्त्रणा समिति जिसमें सत्ता और प्रतिपक्ष दोनों की भागीदारी होती है के निर्णय का बगैर नहीं हो सकती।” इस बार भी मध्यप्रदेश विधानसभा कामकाज तय करके ही बैठी थी। सदन के बाहर की राजनीति सदन में खुलकर हुई और “जनकाज़”  को किनारे रख सबने खूब मनमानी की। अनिश्चित काल के लिए सदन स्थगित हो गया। इससे नाखुश नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शाम को सदन के बाहर कहा कि सत्ता पक्ष ने भले ही विधानसभा स्थगित करा दी हो, पर कांग्रेस जनता से जुड़े मुद्दो को लोगों को बताएगी। इसके लिए विधानसभा के सामने बुधवार से शुक्रवार तक कांग्रेस विधायक जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष पर भी गंभीर आरोप लगाने वाले नेता प्रतिपक्ष सदन में किसी भी विधेयक पर चर्चा में अपना या अपने दल के सदस्यों का नाम देने में क्यों असफल रहे ? इसका जवाब उन्हें देना चाहिए। अजय सिंह ने  अगले तीन दिन तक 11 से 1 बजे तक विधानसभा भवन के बाहर अविश्वास के मुद्दों पर चर्चा करने की आशंका भरी घोषणा की है। उन्हें आशंका है कि सरकार उस स्थान पर समान्तर सदन नहीं चलाने देगी? ऐसा प्रयोग वे पहले भी कर चुके हैं। शायद अब भी स्थान कांग्रेस का दफतर ही रहे।

इस डेढ़ दिनी पावस सत्र में सरकार की तरफ से पेश 11 हजार करोड़ का अनूपूरक बजट बगैर चर्चा के पास हो गया। इसके साथ ही अविश्वास प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हो सकी और सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। शायद, एक बार फोटो के लिए फिर सदन आहुत हो। जनता की नजर में सत्ता और प्रतिपक्ष की बदरंग फोटो साफ दिख रही है। 13वीं विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष का दलबदल चर्चित था, 14वीं विधानसभा की सुर्खी सत्तारूढ़ भाजपा विधायक नीलम अभय मिश्रा के नाम पर है। जिसमें उनकी वेदना, व्यथा, आंसू धरना  और राजनीति शामिल है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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