
सर्वे की यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक के उन आधिकारिक आंकड़ों से भी मेल खाती है जिनके मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल जुलाई में क्रेडिट कार्डों में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई दे रही है। यह रिपोर्ट देशवासियों के विभिन्न तबकों में क्रेडिट कार्ड को लेकर अलग-अलग तरह की प्राथमिकताओं को भी रेखांकित करती है। 59 प्रतिशत क्रेडिट कार्ड धारक बिलों के भुगतान जैसे कार्यों में इसका इस्तेमाल करते हैं जबकि 53 प्रतिशत के लिए यह बड़ी खरीदारी के काम आता है।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 18 साल से 24 साल की उम्र सीमा वाली युवा आबादी के लिए क्रेडिट कार्ड ज्यादा उपयोगी इसलिए है क्योंकि उसे कैश साथ में लेकर घूमना सुविधाजनक नहीं लगता। पर 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के मामले में वजह अलग है। वे क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल इसलिए करते हैं कि उन्हें तुरंत पैसे नहीं देने पड़ते। बहरहाल, क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल करने का मतलब अनिवार्य रूप से यह नहीं माना जा सकता कि वे स्मार्ट यूजर हो गए हैं। यही सर्वे बताता है कि 29 प्रतिशत लोगों ने क्रेडिट कार्ड के जरिए अपनी तय सीमा से ज्यादा खर्च कर डाला। ऐसे ही 20 प्रतिशत लोगों ने माना कि बिल का भुगतान करने में उन्होंने जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा वक्त लग गया। पर यह बड़ी समस्या नहीं है।
इस्तेमाल के साथ लोगों की इसमें कुशलता भी बढ़ती जाएगी। ज्यादा बड़ी जरूरत यह है कि लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में डिजिटल ट्रांजैक्शन की ओर आकर्षित हों। मगर इसके लिए उन्हें मजबूर करने के बजाय उन्हें प्रोत्साहित करने वाले कदमों पर ही सरकार और बैंको द्वारा ध्यान दिया जाए, इससे काले धन का प्रयोग कम हो सकता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।