राकेश दुबे@प्रतिदिन। निसंदेह, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमारी तरफ से ठोस कार्रवाई अवश्यंभावी है। दरअसल हमारी जो ऊर्जा नीति है, उसमें कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने का एक बड़ा लक्ष्य है।
इसके लिए बहुद्देशीय ऊर्जा योजना के विचार को विकसित करने की जरूरत है, जो घरेलू ऊर्जा योजना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने में इसके योगदान, दोनों को एक साथ जरूरी है । आर्थिक विकास और उच्च ऊर्जा खपत के बीच सीधा संबंध है। देश की विकास गाथा के पीछे बिजली की खपत में 60 प्रतिशत की वृद्धि का योगदान है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अक्षय ऊर्जा कार्य योजना के तहत देश में करीब 4200 मेगावाट सोलर ग्रिड की स्थापना हो चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन कार्य योजना में 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित है।
ऐसे में भारतीय उद्योगों के लिए ऊर्जा के लिहाज से किफायती और निरंतरता भरी कार्यपद्धतियों को अपनाकर कम कार्बन उत्सर्जन की दिशा में सार्थक कदम उठाने का यह सही समय है। भारत में ऑफ ग्रिड ऊर्जा का बहुत बड़ा बाजार है।
भारत जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल व इसकी उपयोगिता बढ़ाने जैसे सक्रिय कदम उठाने को प्रतिबद्ध है। वह सौर, पवन जैसे अक्षय ऊर्जा क्षमता वाले पचास देशों के साथ एक गठबंधन बनाने की तैयारी में है, जो आपस में तकनीकी साझा करेंगे। इससे बिजली के दामों में कमी आने की संभावना है।
स्वैच्छिक राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार 2022 तक अक्षय ऊर्जा से 1.75 लाख मेगावाट उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा से हासिल किया जाना है। इसमें सौर ऊर्जा से एक लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है। हाल में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट ने भी इसे स्वीकारा है कि भारत स्वैच्छिक लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अग्रसर है।
इसके साथ कुछ जरूरी सवाल भी है , जैसे स्वदेशी तकनीक का पूरी तरह विकसित न होना, संयंत्रो के लिए आज भी विदेशी उत्पादों पर निर्भर होना और ऊर्जा के क्षेत्र में जिन देशों से समझौते हुए हैं, उनका भारत को सहयोगी की जगह बाज़ार समझना। ये सब नीतिगत प्रश्न है, नीति की स्पष्टता जरूरी है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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