Karmchari news: कानून आलसी कर्मचारियों को न्याय नहीं देता, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक कर्मचारी की प्रमोशन और बकाया वेतन भत्तों की मांग को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि कर्मचारियों ने अपने कानूनी अधिकार की मांग करने में काफी देरी कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति स्वयं आलसी हो, कानून उसका साथ नहीं देता। 

रिटायरमेंट के 11 साल बाद प्रमोशन पिटीशन फाइल की थी

मामला केरल राज्य का है। 2008 में कर्मचारियों का रिटायरमेंट हो गया था। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने आराम से कैलकुलेट किया तो पता चला कि उनके कई जूनियर कर्मचारियों के प्रमोशन और बकाया वेतन भत्तों का भुगतान हुआ है लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। इसके लिए उन्होंने अपने डिपार्टमेंट को पत्र लिखा, अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। यह सब कुछ बड़े आराम से चला रहा। रिटायरमेंट के 11 साल बाद 2019 में उन्होंने केरल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में पिटीशन फाइल की। ट्रिब्यूनल ने 5 साल बाद 2024 में कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार को समस्त प्रकार के लाभ का भुगतान करने के आदेश दिए। डिपार्टमेंट ने हाईकोर्ट में अपील की लेकिन हाई कोर्ट ने भी कर्मचारी के पक्ष में फैसले को सही बताया। 

ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट में कर्मचारी जीत गया था

इसके बाद केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील फाइल की। दिनांक 19 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला बहुत पुराना है। अपने अधिकारों की मांग करने में काफी देरी (2008 से 2019, 11 साल) कर दी। यदि कर्मचारियों को लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है तो उसे तुरंत कानूनी कार्रवाई शुरू करना चाहिए थी। कानून आलसी लोगों का साथ नहीं देता। 
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!