SCINDIA के विभागों में अधिकारियों पर PST बढ़ाया?, मामला लोकायुक्त तक पहुंचा

Bhopal Samachar
एक तरफ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) कम कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को दिए गए विभागों में शायद PST (पोस्टिंग और संरक्षण टैक्स) डबल कर दिया गया है। पिछले दो दिनों में लोकायुक्त ने श्री गोविन्द सिंह राजपूत के दो ऐसे अधिकारियों को पकड़ा है, जो उचित मूल्य की दुकान के सेल्समैन से ₹50000 रिश्वत के लिए वह सब कुछ कर रहे थे जो शायद पहले उन्होंने कभी नहीं किया। 

प्रत्येक उचित मूल्य की दुकान से ₹50000 का टारगेट?

श्री गोविन्द सिंह राजपूत, मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे भरोसेमंद मंत्रियों में से एक हैं। श्री सिंधिया भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा प्रभावी भाषण देते हैं लेकिन श्री राजपूत पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों पर कभी कोई टिप्पणी नहीं करते। मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में जो कांड हुआ, वह तो पूरी दुनिया भर की मीडिया के आर्काइव में LINK है। इस बार श्री राजपूत को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग दिया गया है। पिछले कुछ दिनों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में जो कुछ हुआ है, वह असामान्य है। एक बात पूरे मध्य प्रदेश में कॉमन है। सेल्समैन से रिश्वत के रूप में ₹50000 की मांग की गई। 

लोकायुक्त ने पकड़ा तब पता चला

कई जिलों के कलेक्टर ऑफ द रिकॉर्ड कहते हैं कि, वह अपने क्षेत्र में सब कुछ इग्नोर कर देते हैं परंतु उचित मूल्य की दुकान में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करते। उचित मूल्य की दुकान, सबसे गरीब जनता से जुड़ा विषय होता है। इतनी गरीब जनता कि, शिकायत करने के लिए समय और आवेदन के लिए कागज का पैसा भी नहीं होता। इसलिए जब भी कोई उचित मूल्य की दुकान को निलंबित या स्थानांतरित किया जाता है तो स्थानीय अखबारों में इसकी सूचना प्रकाशित करवाई जाती है। इस प्रकार की सूचना को समाचार पत्रों में निशुल्क प्रकाशित किया जाता है। पिछले एक महीने में पूरे मध्य प्रदेश में किसी भी दुकान के निलंबित या स्थानांतरित किए जाने की सूचना कलेक्टर कार्यालय से जारी नहीं हुई है। 

पिछले दो दिनों में पता चला कि, इस महीने में हर जिले में कई दुकानों को निलंबित किए जाने का नोटिस दिया गया है और आदेश में यह भी लिखा गया है कि उनकी दुकान को किसी दूसरी उचित मूल्य की दुकान में संलग्न कर दिया गया है। सवाल तो बनता है कि यह गुपचुप कार्रवाई क्यों हो रही है। क्या केवल इसलिए ताकि सेल्समैन से वसूली की जा सके। आलीराजपुर और झाबुआ में सेल्समैन के खिलाफ झूठी कार्रवाई की गई, रिश्वत की वसूली के लिए FIR का डर दिखाया गया। 

मध्य प्रदेश कि लोकायुक्त टीम बड़ी ईमानदार है। केवल रिश्वत लेने वाले को गिरफ्तार करती है उसके बाद कोई जांच नहीं करती। भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने का अधिकार मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की टीम को दिया ही नहीं गया। इसलिए लोकायुक्त कभी जांच नहीं कर पाएगा कि मध्यप्रदेश में जिला आपूर्ति अधिकारियों में एक खास प्रकार की हड़बड़ी देखी जा रही है। जैसे किसी ने लास्ट डेट दी है। यदि PST जमा नहीं करवाया तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो जाएगी।

Points to pay attention 

1. जनता से लेकर नेताओं तक सबको दंडवत करने वाले, गांधीवादी मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर कैबिनेट की बैठक में अचानक मचल गए। जो मंत्री अपने भ्रष्टाचारियों को सस्पेंड नहीं करता बल्कि आक्रोश प्रकट करने के लिए माला पहनाता है। उसने मुख्यमंत्री को माल नहीं पहनाई, मीटिंग के पहले या बाद में मिलने का समय भी नहीं मांगा बल्कि कैबिनेट मीटिंग में मचल गए। सबको दिखाई दिया कि उन्होंने समाधान के लिए क्षेत्र की समस्या नहीं उठाई बल्कि रोल प्ले किया है। ग्वालियर के प्रभारी मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, इस अभिनय में उनके सहायक कलाकार थे। जिन्होंने कैबिनेट मीटिंग में स्वीकार किया कि उन्होंने ग्वालियर पर ध्यान नहीं दिया है और ग्वालियर नरक बन गया है।

2. कैबिनेट में हंगामा के बाद प्रभारी मंत्री को बदल दिया जाना चाहिए था। वही तो फेल हुए थे लेकिन गुना शिवपुरी के सांसद श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक ग्वालियर चंबल के दौरे पर आ गए। ग्वालियर में सर्व दलीय बैठक ली। जिले के विकास कार्यों की समीक्षा की। फिर चंबल में रोड शो किया और भी काफी कुछ हुआ। सवाल तो उठाता है कि ऐसा किस अधिकार से किया। केंद्रीय मंत्री तो श्री शिवराज सिंह चौहान भी हैं। वह तो इस प्रकार से विदिशा तक की बैठक नहीं लेते, जहां से सांसद हैं। 

3. श्री गोविंद सिंह राजपूत के विभाग में रिश्वत की वसूली के लिए उचित मूल्य की दुकान के सेल्समैन तट पर दबाव बनाए जाने लगा है। दो जिलों में प्रत्येक सेल्समैन से ₹50000 की डिमांड का मामला सामने आ चुका है। 
दरवाजे के पीछे कुछ तो चल रहा है, दया। कुछ तो है जो नजरों से छूट रहा है। ✒ उपदेश अवस्थी

स्पेशल नोट:-  श्री प्रद्युमन सिंह तोमर का नाम स्वच्छता और गांधीवाद के लिए, तुलसीराम सिलावट का नाम बुजुर्गों की मदद के लिए और इसी प्रकार सिंधिया समर्थक मंत्रियों के नाम किसी न किसी अच्छे काम के लिए हेडलाइंस में आ ही जाते हैं परंतु श्री गोविंद सिंह राजपूत का नाम या तो किसी विवाद में आता है या फिर किसी विवाद में नहीं आता है। 
मतलब समझ रहे हो ना विनोद, किसी ऐसे काम में कभी नहीं आता इसके लिए मुक्त कंठ से प्रशंसा की जा सके।
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