भोपाल। आजाद अध्यापक संघ के बेनर तले शुरू हुआ मप्र का अध्यापक आंदोलन अब तेज हो गया है। अध्यापकों के लगभग सभी संगठनों ने इस आंदोलन में अपनी भूमिका निर्धारित कर ली है एवं एक बार फिर मप्र में अध्यापक एकजुट दिखाई दे रहे हैं। इस आंदोलन के साथ ही अध्यापकों की राजनीति कर विधायक बने मुरलीधर पाटीदार का वजूद लगभग खत्म हो गया है। पाटीदार की कोशिशें पर भी पानी फेर दिया गया है।
इधर सरकार लगातार अध्यापक आंदोलन पर नजर बनाए हुए है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस आंदोलन के संदर्भ में खुफिया रिपोर्ट मंगा ली है। शिवराज इस मामले में मुरलीधर पाटीदार या पार्टी के दूसरे कर्मचारी नेताओं की मीठी मीठी बातों में आने के बजाए स्थिति का अपने स्तर पर आंकलन कर रहे हैं।
आज सुबह शिवराज सिंह चौहान ने आंदोलित अध्यापकों के प्रतिनिधि मंडल को सीएम हाउस बुलवाया। यहां शिक्षा मंत्री पारस जैन ने मंडल से बातचीत की। भोपाल समाचार डॉट कॉम को मिली जानकारी के अनुसार यह बातचीत भी बेनतीजा ही रही परंतु सूत्र बताते हैं कि यह आमंत्रण किसी नतीजे के लिए था भी नहीं। सीएम सीसीटीवी पर आंदोलित अध्यापकों की बॉडी लैंग्वेज और कांफीडेंस देखना चाहते थे। इसलिए यह मुलाकात सीएम हाउस में हुई।
सूत्र बोलते हैं कि इस आंदोलन को तोड़ने की जिम्मेदारी विधायक मुरलीधर पाटीदार को दी गई थी परंतु पाटीदार की पॉलिसी फैल हो गई। शायद वो ओवर कांफीडेंस में थे और उन्हें खुद उम्मीद नहीं थी कि आंदोलन इस स्तर पर पहुंच जाएगा। आंदोलनकर्मियों को मिसगाइड करने के हिलए मुरलीधर पाटीदार ने एसएमएस के जरिए अपने जिलाध्यक्षों को 2 अक्टूबर से आंदोलन शुरू करने के निर्देश दिए परंतु पाटीदार की अपनी ही कोर कमेटी ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और स्पष्ट रूप से बता दिया कि वो आंदोलन में शामिल हो चुके हैंं।
कुल मिलाकर अब सरकार इस आंदोलन की फाइनल स्ट्रेंथ नाप रही है। इसके बाद शिवराज किसी फैसले पर पहुंचेंगे।