पुलिस की लचर जांच के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश

Bhopal Samachar
राजेश शुक्ला/अनूपपुर। न्यायालय ने दलित लड़की से रेप के बाद हत्या के मामले में पुलिस के स्पष्ट दिखाई दे रही लचर जांच के खिलाफ सीबीआई या इस तरह की किसी उच्चस्तरीय ऐजेंसी से जांच कराने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही इस मामले के जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं।

यह है घटनाक्रम
प्राप्त जानकारी के अनुसार करनपठार थानांतर्गत ग्राम खरसौल निवासी प्रमोद शुक्ला एवं राजू उर्फ राजकुमार सिंह गोंड ने 2012 में अनुसूचित जनजाति समाज की एक लड़की के साथ योजनाबद्ध तरीके से जबरन  बलात्कार किया जिसका पीडिता ने भरपूर विरोध किया। आरोपियों ने गला दबाकर लड़की की हत्या कर दी और लाश कुंए में फेक दिया। घटना की शिकायत पीडि़ता के परिजनों ने करनपठार थाने में दर्ज कराई। एसडीओपी जी पी मिश्रा, सहा. उपनिरीक्षक यादवेंद्र गिरी ने जांच की और आरोपियों को गिरफ्तार कर मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया।

जांच में की गई लीपापोती
मान्नीय न्यायालय ने पाया कि विशेष प्रकरण क्रमांक २३/१३, अपराध क्रमांक १७४/१२ शासन बनाम राजू उर्फ राजकुमार, प्रमोद शुक्ला मामले में जांच अधिकारियों और चिकित्सकों ने जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की है। एक पुरूष चिकित्सक द्वारा अकेले लड़की के शव का पोस्टमार्टम कराया जाना, सीमन्स एवं आरोपियों का डीएनए टेस्ट न कराना तथा मामले की महत्वपूर्ण एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी गवाह कु. एन देवी (परिवर्तित नाम) एवं अन्य साक्षियों के पलट जाने एवं जांच में गंभीर लापरवाही बरतने के कारण मामला कमजोर पडा।

सीबीआई से कराएं जांच
इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए मान्नीय श्री आनंद मोहन खरे जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय की न्यायालय ने उक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि थाना करनपठार जिला अनूपपुर के उक्त मामले में पुन: विस्तृत एवं उचित अनुसंधान उच्चस्तरीय अनुसंधान एजेंसी गठित कर करायें। यदि आदेश को पढऩे के पश्चात मध्यप्रदेश शासन यह समझती है कि अनुसूचित जनजाति की उपरोक्त बालिकाओं को वास्तविक एवं वैधानिक न्याय प्रदान करने हेतु समाज के वृहदहित में सीबीआई के माध्यम से पुन: अनुसंधान आवश्यक है तो सीबीआई के माध्यम से पुन: विस्तृत अनुसंधान करायें।

जांच अधिकारियों के विरूद्ध करें कार्यवाही
मान्नीय न्यायालय ने मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि इस मामले में आदेश को पढऩे तथा अभिलेख एवं पुलिस डायरी का अवलोकन करने पर यदि शासन यह पाती है कि डॉ. फूलसाय मराबी, डॉ. शैली जैन, डॉ. अनिल यादव, कथित अनुसंधानकर्ता अधिकारी जी पी मिश्रा (तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक), यादवेंद्र गिरी सहा. उपनिरीक्षक ने अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन करते समय या अनुसंधान के दौरान कोई गंभीर लोप या नियमों का उल्लंघन किया है तो उनके विरूद्ध प्रशासनिक कार्यवाही की जाये ताकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा अन्य वर्ग की महिलाओं के साथ होने वाली एैसी घटनाओं के अपराधियों को दण्डित करने में विधि द्वारा स्थापित न्यायालय कोई असुविधा महसूस न करे।

गवाहों को सुरक्षा देने के निर्देश
इस प्रकरण में प्रत्यक्षदर्शी गवाह एवं अन्य गवाहों के पलटने के कारणों की गहन जांच किये जाने एवं उन्हें उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश  भी न्यायालय ने दिया है।
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