खबर का असर: सुप्रीमकोर्ट ने लगाई केन्द्र सरकार को फटकार, पोर्न साइट बंद करो

भोपाल। इसे डिजिटल एवं सोशल मीडिया का जादू ही कहेंगे कि एक रिजनल न्यूज पोर्टल पर उठाया गया मुद्दा अपने सही मुकाम तक पहुंच गया। मामला पोर्न साइट पर प्रतिबंध का था जो भोपालसमाचार.कॉम ने उठाया और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र को फटकराते हुए पार्नसाइट बंद करने की अंतिम तिथि निर्धारित कर दी।

बात 2013 के शुरूआती दिनों की है जब पूरा देश नईदिल्ली में हुए दामिनी गैंगरेप से आंदोलित था। इस आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाते हुए रवि शर्मा ने विषय उठाया कि पोर्न साइट्स लोगों को उत्तेजित करतीं हैं और ऐसी साइट्स पर मौजदू रेप या गैंगरेप के वीडियो लोगों को ऐसे अपराधों के लिए प्रेरित करते हैं अत: भारत में पोर्न साइट बंद की जानी चाहिए।

रवि शर्मा ने सोशल मीडिया पर यह विषय उठाया और भारत सरकार के अधिकृत आफिसों में शिकायती मेल भी किए। नतीजा यह हुआ कि रवि शर्मा को पोर्न साइट संचालकों की ओर से धमकियां मिलने लगीं। यहां त​क कि दिल्ली पुलिस के एक कथित अधिकारी ने फोन पर रवि शर्मा को कहा कि 'वो उसे किसी भी फर्जी मामले में फंसा देंगे, इसलिए चुप रहो।'

घबराए रवि ने यह सारी जानकारी भोपालसमाचार.कॉम को भेजी एवं मदद की मांग की। भोपाल समाचार पर यह मामला पूरी संवेदनशीलता के साथ उठाया गया। बस फिर क्या था, विषय को जनसमर्थन मिलता चला गया। उत्साहित रवि शर्मा ने भारत के राष्ट्रपति महोदय से भी शिकायत की और उस पर उचित कार्रवाई की टीप के साथ फारवर्ड की गई।

इधर भोपालसमाचार.कॉम के मजबूत सोशल नेटवर्क के जरिए यह विषय इन्दौर के प्रख्यात वकील कमलेश वासवानी तक जा पहुंचा और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इस याचिका का निर्णय करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेशित किया कि वो पोर्न साइट्स प्रतिबंधित करे परंतु सरकारी फाइलों में यह मामला सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भी दबा दिया गया।

एडवोकेट कमलेश वासवानी ने सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाया कि सरकार उसके आदेश का पालन नहीं कर रही है। इस पर न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘नहीं, आपको यह करना ही होगा।’ इससे पहले, अतिरिक्त सालिसीटर जनरल केवी विश्वनाथन ने देश में ऐसी साइट्स को अवरुद्ध करने की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया।

शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को ऐसी साइट्स अवरुद्ध करने के उपाय करने के लिए केन्द्र को चार सप्ताह का वक्त दिया था। इस याचिका में कहा गया है कि हालांकि अश्लील वीडियो देखना अपराध नहीं है लेकिन पोर्नोग्राफी साइट्स अवरुद्ध की जानी चाहिए क्योंकि यह महिलाओं के प्रति अपराध का एक बड़ा कारण है।


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हम धन्यवाद अदा करना चाहते हैं उस ईश्वर का जिसने यह अवसर हमें प्रदान किया और हम देश के काम आ सके। मैं सोशल मीडिया पर एक्टिव अपने सभी परिचित/अपरिचित दोस्तों का किन शब्दों में आभार व्यक्त करूं जिन्होंने इस विषय को आंदोलन बना दिया।
कृपया आशीर्वाद दीजिए कि समाजहित में पत्रकारिता धर्म निभाने का काम लगातार चलता रहे। ये हौंसले ये उत्साह टूटने ना पाए।
उपदेश अवस्थी
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