मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने पुलिस आरक्षक भर्ती 2023 के उम्मीदवारों को विश्वास दिलाया है कि, सभी सफल अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक डाटा और आधार हिस्ट्री की सूक्ष्मता से जांच की जा रही है। सरल शब्दों में उनके मैसेज का तात्पर्य यह है कि मध्य प्रदेश में एक भी मुन्ना भाई, पुलिस का सिपाही, नहीं बन पाएगा।
पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाला - मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का बयान पढ़िए
पुलिस आरक्षक भर्ती -2023 की प्रक्रिया में फर्जीवाड़े एवं अनियमितता की सूचना मिलने पर मेरे द्वारा सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है। इस प्रकार के आपराधिक कृत्य, जिनमें योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होता है, मध्यप्रदेश में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस मुख्यालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी सफल अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक डाटा और आधार हिस्ट्री की सूक्ष्मता से जांच की जा रही है। प्रथम दृष्ट्या इम्परसोनेशन पाए जाने पर अभ्यर्थियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।पुलिस आरक्षक भर्ती -2023 की प्रक्रिया में फर्जीवाड़े एवं अनियमितता की सूचना मिलने पर मेरे द्वारा सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है। इस प्रकार के आपराधिक कृत्य, जिनमें योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होता है, मध्यप्रदेश में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 7, 2025
पुलिस मुख्यालय…
व्यापमं 2.0 क्या है
मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाला 2023 की पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा से संबंधित एक बड़ा फर्जीवाड़ा है, जो हाल ही में सामने आया है। इस घोटाले में अभ्यर्थियों ने आधार कार्ड में बायोमेट्रिक डेटा (फोटो और फिंगरप्रिंट) में हेराफेरी कर असली उम्मीदवारों की जगह सॉल्वर (नकली परीक्षार्थी) से परीक्षा दिलवाने का षड्यंत्र रचा। यह घोटाला ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी, अलीराजपुर, इंदौर और शहडोल जैसे जिलों में उजागर हुआ है।
व्यापमं 2.0 घोटाले का तरीका:
अभ्यर्थियों ने परीक्षा से पहले आधार कार्ड में सॉल्वर की फोटो और बायोमेट्रिक डेटा अपडेट करवाया। सॉल्वर ने लिखित परीक्षा दी, और पास होने के बाद असली अभ्यर्थी ने फिर से आधार में अपनी मूल फोटो अपडेट करवाई। इस तरह, सॉल्वर की पहचान छिपाकर असली अभ्यर्थी फिजिकल टेस्ट और जॉइनिंग के लिए प्रस्तुत हुआ।
व्यापमं 2.0 का खुलासा कैसे हुआ
- पुलिस मुख्यालय ने नियुक्ति से पहले आधार वेरिफिकेशन और दस्तावेजों की जांच शुरू की। इस प्रक्रिया को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कहते हैं।
- जांच में फोटो, हस्तलिपि (हैंडराइटिंग), और फिंगरप्रिंट में अंतर पाया गया, जिससे फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
- मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) से रिकॉर्ड मंगवाने पर सॉल्वर के उपयोग की पुष्टि हो गई।
आंकड़े और कार्रवाई:
- 7411 पदों के लिए हुई इस भर्ती में करीब 7 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे।
- अब तक 19 अभ्यर्थियों के खिलाफ विभिन्न जिलों में FIR दर्ज की गई हैं, और 14 अन्य संदिग्ध आधार कार्ड की जांच जारी है।
- ग्वालियर में 5 अभ्यर्थियों (दीपक सिंह रावत, उमेश रावत, हक्के रावत, आदि) के खिलाफ केस दर्ज हुआ है।
- मुरैना से शुरू हुआ यह खुलासा अब प्रदेश के अन्य हिस्सों तक फैल चुका है।
व्यापमं 2.0 संगठित गिरोह द्वारा किया गया घोटाला
यह फर्जीवाड़ा एक संगठित सॉल्वर गैंग द्वारा किया गया, जिसमें आधार सेंटरों की मिलीभगत और दलालों की भूमिका थी।
गैंग के तार मध्य प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों के परीक्षा माफिया से भी जुड़े हो सकते हैं।
दलाल चिट्ठियों का उपयोग करते थे और सोशल मीडिया या स्थायी फोन नंबरों से बचते थे, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो।
यह घोटाला 2013 के कुख्यात व्यापमं घोटाले की याद दिलाता है, जहां भी सॉल्वरों का उपयोग हुआ था। इस बार तकनीकी रूप से अधिक उन्नत तरीके अपनाए गए, जैसे आधार बायोमेट्रिक में हेराफेरी।
प्रभाव और प्रतिक्रिया:
इस घोटाले ने मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
पुलिस मुख्यालय और ADG सोनाली मिश्रा के नेतृत्व में सभी चयनित उम्मीदवारों का गहन वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा है, जहां इसे "व्यापमं 2.0" कहा जा रहा है।
निष्कर्ष: पुलिस को पहले से MPESB पर शक था
मध्य प्रदेश पुलिस ने ही व्यापम घोटाले का खुलासा किया था। मध्य प्रदेश पुलिस की SIT ने इस मामले में सबसे ज्यादा अपराधियों की गिरफ्तारी की और कोर्ट से उनको ही सजा मिल रही है। व्यापम घोटाला की जांच के दौरान पुलिस को पता चल गया था कि गड़बड़ी कहां पर है। इसलिए जब इस बार पुलिस आरक्षक भर्ती की बात शुरू हुई तो पुलिस हैडक्वाटर ने मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल के माध्यम से परीक्षा करवाने से मना कर दिया था। लंबे समय तक विवाद चला और भर्ती परीक्षा पेंडिंग बनी रही। पुलिस को परीक्षा आयोजित करवाने की अनुमति नहीं मिली और अंत में वही हुआ जिसका डर था लेकिन इस बार पुलिस पहले से सतर्क नियुक्ति से पहले, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में ही घोटाले का खुलासा कर दिया।