Bharat में क्लाइमेट चेंज की चिंता केवल इवेंट्स के पैनल्स में ही दिखाई देती है - Editorial

आजकल हर कोई Net Zero की बात करता है। कॉरपोरेट्स अपनी websites पर sustainability pledges की बड़ाई करते हैं, events में climate change panels सजाते हैं, मगर जब बात नीति निर्माण की आती है, जहाँ बदलाव की असल नींव पड़ती है, तो ज़्यादातर कंपनियाँ चुप्पी साध लेती हैं। InfluenceMap का ताज़ा विश्लेषण बताता है कि भारतीय उद्योग जगत में climate policy को लेकर सकारात्मक बयानबाज़ी तो खूब है, पर ज़मीनी हक़ीक़त में ये policy engagement में तब्दील नहीं हो रही। भारतीय कंपनियाँ वैश्विक समकक्षों की तुलना में science-based climate policies का ज़्यादा समर्थन दिखाती हैं, फिर भी यह समर्थन सतही है, जो energy sector में transition की राह में रुकावट बन रहा है।

भारत की 20 कंपनियों में से सिर्फ एक अच्छा काम कर रही है

InfluenceMap के पहले Corporate India विश्लेषण से साफ़ है कि भारत में fossil fuel उद्योगों का संगठित विरोध नहीं है, जैसा ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका में दिखता है। यह भारतीय कंपनियों के लिए सरकार के साथ मिलकर climate action में वैश्विक नेतृत्व का सुनहरा मौक़ा देता है। इस शोध में 20 बड़ी कंपनियों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें सिर्फ़ ReNew ही 1.5°C global warming target के अनुरूप नीतियों का पूरी तरह समर्थन करती दिखी। बाकी 18 कंपनियाँ आधे-अधूरे ढंग से इस दिशा में हैं, और 17 कंपनियों की policy engagement 25% से भी कम है। मिसाल के तौर पर, 9 कंपनियों ने भारत के 2030 तक 500 गीगावाट renewable energy target का समर्थन किया, पर सिर्फ़ 5 ने Carbon Credit and Trading System (CCTS) में हिस्सा लिया।

उद्योग संगठन CII, ASSOCHAM, और FICCI भी निराश कर रहे हैं

उद्योग संगठन जैसे CII, ASSOCHAM, और FICCI भी Paris Agreement के 1.5°C target से पूरी तरह मेल नहीं खाते, हालाँकि CII इस मामले में अग्रणी है। वहीं, SIAM का रिकॉर्ड सबसे कमज़ोर है, जो EV policies का समर्थन तो करता है, मगर पहले petrol/diesel standards का विरोध और ICE vehicles के पक्ष में रहा। यह विरोधाभास निवेशकों के लिए चिंता का सबब है। भारत का 2070 Net Zero target और National Carbon Market जैसे कदम कॉरपोरेट्स के लिए अवसर हैं, पर BRSR guidelines में सिर्फ़ 6 कंपनियों ने climate policy engagement का खुलासा किया। 

InfluenceMap की India Platform इस कमी को ट्रैक करेगी। विवेक पारिख, India Program Lead, कहते हैं, “भारत में climate policy का संगठित विरोध नहीं है, जो कंपनियों को energy transition में first-mover advantage लेने का मौक़ा देता है। BRSR जैसे तंत्रों से transparency बढ़ाकर कंपनियाँ इस दिशा में कदम उठा सकती हैं।”  

Indian corporates have a unique opportunity to lead global climate action by aligning with science-based policies and leveraging BRSR for transparent policy engagement.

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