BHARAT में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी 60 से पहले मर जाएंगे, 40 की उम्र में बूढ़े हो रहे हैं: Report

India's Private Sector Employees Face Rising Health Crisis, Reveals New Report

New Delhi: देश के प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के बीच एक Silent Health Crisis तेजी से उभर रहा है। जिसके कारण प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी सिर्फ 40 साल की उम्र में बूढ़े हो रहे हैं। यदि स्थिति पर तत्काल नियंत्रण नहीं किया गया तो 10 साल बाद प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर गंभीर बीमारियों से मृत्यु की स्थिति बन सकती है।

प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारी serious health issues का शिकार

एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, कई कर्मचारी serious health issues, mental stress, और chronic fatigue जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। Employee health benefits प्रदान करने वाली फर्म Plum की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 40 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बड़ी संख्या में कर्मचारियों को गंभीर बीमारियां घेर लेती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 40 प्रतिशत कर्मचारी हर महीने at least one sick leave मानसिक तनाव के चलते लेते हैं, जबकि हर पांच में से एक कर्मचारी थकावट की वजह से job resignation पर विचार करता है।

heart diseases 32 में, cancer 33 में, diabetes 34 में और kidney diseases 35 वर्ष में

रिपोर्ट में बताया गया है कि अब critical illnesses पहले से कम उम्र में ही शुरू हो रही हैं। आंकड़ों के मुताबिक, heart diseases अब औसतन 32 साल की उम्र में, cancer 33 वर्ष में, diabetes 34 वर्ष में और kidney diseases 35 वर्ष में कर्मचारियों में देखी जा रही हैं। वहीं, neurological issues जैसे स्ट्रोक और ब्रेन में ब्लड सप्लाई रुकने की घटनाएं भी 36 वर्ष की उम्र में सामने आ रही हैं। यह ट्रेंड हेल्थ एक्सपर्ट्स को गंभीर चिंता में डाल रहा है।

Work-Life Balance and National Economy at Risk Due to Employee Illnesses

कम उम्र में गंभीर बीमारियां होने से न सिर्फ कर्मचारियों की work efficiency प्रभावित हो रही है, बल्कि उनका personal life भी प्रभावित हो रहा है। इससे देश का healthcare system burdened हो रहा है और आर्थिक विकास पर भी सीधा असर पड़ रहा है। Plum की रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि कोई कर्मचारी किसी chronic illness से जूझता है, तो सालाना औसतन 30 कार्य दिवसों का नुकसान होता है। इसलिए रिपोर्ट में कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे सिर्फ इलाज पर नहीं, बल्कि preventive healthcare पर भी जोर दें और कर्मचारियों की physical and mental wellness दोनों का ख्याल रखें।

Health Insurance is Not Enough, Says Plum Co-Founder

Plum के को-फाउंडर Abhishek Poddar का कहना है कि कंपनियों को स्वास्थ्य सेवा को केवल बीमा तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्हें कर्मचारियों को ऐसा comprehensive healthcare system देना चाहिए जो उनकी mental health, physical health और social wellbeing तीनों को कवर करे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि रिपोर्ट से साफ है कि अब कंपनियों को कर्मचारियों की सेहत को लेकर empathetic and strategic approach अपनाना होगा। विशेष रूप से, मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि हर उम्र और जेंडर के कर्मचारियों की मानसिक आवश्यकताएं अलग होती हैं।

Only 20% Companies Offer Regular Health Checkups to Staff

Plum की रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। देश की केवल 20 प्रतिशत कंपनियां ही अपने कर्मचारियों को regular health checkups की सुविधा देती हैं। और इनमें से भी सिर्फ 38 प्रतिशत कर्मचारी इस सुविधा का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि mental health issues लगातार बढ़ रही हैं, जिनमें सबसे बड़ी चिंता anxiety disorders की है।

Healthcare Gender Gap: Women Employees at Disadvantage

Plum की रिपोर्ट के अनुसार, 30 से 49 वर्ष के कर्मचारियों में 58% healthcare services usage पुरुषों द्वारा किया जाता है, जिससे स्पष्ट है कि women employees को स्वास्थ्य सेवाओं तक कम पहुंच मिल रही है। हालांकि 50 से 59 वर्ष की महिला कर्मचारी जब menopause related health issues का सामना करती हैं, तब उनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं इलाज करवाती हैं। 

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