BNS 56, IPC 116 - ऑनलाइन या ऑफलाइन, भीड़ को भड़काना कितना गंभीर अपराध, पढ़िए

Legal general knowledge and law study notes 

वर्तमान समय में बहुत से लोग फ़ेसबुक, WhatsApp, Instagram आदि सोशल मीडिया पर बहुत सी भड़काऊ पोस्ट शेयर करते है जिसके कारण दस से अधिक व्यक्ति उकसाहट में आकार कोई अपराध को अंजाम दे देते है। ऐसे में इस अपराध पर अंकुश लगाना भी जरूरी था इसलिए भारतीय दण्ड संहिता एवं नये कानून भारतीय न्याय संहिता में इस अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है जानिए। 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 57, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 117 की परिभाषा 

जो कोई व्यक्ति किसी जनता या दस से अधिक व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दुष्प्रेरित करेगा वह व्यक्ति IPC की धारा 117 एवं BNS की धारा 57 के अंतर्गत दोषी होगा। इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनों प्रकार के होते हैं एवं जमानतीय एवं अजमानतीय होते है। इनकी सुनवाई उसी न्यायालय में होगी जहा विधि विरुद्ध जमाव के अपराध का विचारण चल रहा हैं। अतः तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए:-
K, एक पोस्टर को सार्वजनिक स्थान पर चिपका देता है और उसे पढ़ने के बाद लोग कोई विधि विरुद्ध जमाव करने के लिए तैयार हो जाते है तब K, इस अपराध का दोषी होगा चाहे वह अपराध में शामिल भी नहीं हुआ हो।
एस• सुब्रमणिया अय्यर बनाम सम्राट मामले मे रेल्वे की हड़ताल के दोरान रेल कर्मचारियों को रेल की पटरियों पर लेट जाने के लिए उकसाना IPC की धारा 117 के अंतर्गत अपराध माना गया था। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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