BNS 43, IPC 104 - चोरी अथवा लूट के मामले में निजी प्रतिरक्षा का अधिकार, जानिए

Legal general knowledge and law study notes  

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 102 (नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 40) में यह बताया गया है कि व्यक्ति की शरीर की सुरक्षा का अधिकार कब से प्रारम्भ होता है और यह अधिकार कब खत्म हो जाता है। उसी प्रकार भारतीय दण्ड संहिता की धारा 105 में हम आपको बतायेंगे की व्यक्ति का संपत्ति की सुरक्षा में निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब प्रारम्भ होता है एवं कब तक बना रहता है। जानिए:-

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 43, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 105 की परिभाषा 

जानिए संपत्ति के संबंध में निजी प्रतिरक्षा अधिकार के लिए कब प्रारंभ होगे कब समाप्त :-
1. चोरी: - अपराधी के संपत्ति सहित पहुँच के बाहर हो जाने तक, संपत्ति वापस प्राप्त हो जाने तक या सरकारी सहायता प्राप्त करने तक। (इनके बीच तक संपत्ति के निजी प्रतिरक्षा का अधिकार बना रहता है।)
2. लूट:- हमलावर किसी व्यक्ति पर तुरंत मृत्यु करने के लिए हमला कर रहा है या हमला करने की आशंका है तब तक।
3.:- रात्रि में घर में घुसना:- रात्रि गृह भेदन के विरुद्ध निजी सुरक्षा का अधिकार तब तक बना रहता है जब तक तक कि जब तक रात में घर पर अतिचार उत्पन्न होता रहता हैं।
4. आपराधिक उद्देश्य से संपत्ति को नष्ट करना:- यहाँ पर निजी सुरक्षा का अधिकार तब तक बना रहता है जब तक अपराधी संपत्ति को नष्ट कर रहा है या यथास्थिति करता है।

चोरी के अपराध के संबंध में निजी प्रतिरक्षा का अधिकार हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट मामला

1. जरहा बनाम सुनीतराम मामले मे हाई कोर्ट द्वारा निर्णय दिया कि चोर द्वारा छिप जाने या बच निकलकर भाग जाने पर भी सम्पत्ति के मालिक का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार समाप्त नहीं होता है। अतः यह अधिकार कई दिनों तक बना रहता है। अर्थात मालिक चोर के पास कभी भी अपनी घड़ी देख ले तो वह आवश्यक बल का प्रयोग करके अपनी घड़ी वापस ले सकता है।  

लेकिन लाहौर उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को पलट दिया और कहा कि चोर सम्पति सहित स्वामी की पहुच के बाहर होते ही स्वामी का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार समाप्त हो जाएगा बाद में अगर स्वामी को चुराई गई अपनी संपत्ति वापस लेना है तो उसे कानूनी प्रक्रिया तथा लोक प्राधिकारियों की सहायता लेनी होगी I 

फ़ाइनल निर्णय:-
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रामस्वरूप मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि चोरी की घटना के तत्काल बाद ही स्वामी का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्रारम्भ होता है चोर के पहुच से बाहर होते ही यह अधिकार समाप्त हो जाता है बाद में अगर मालिक चोर के पास अपनी संपत्ति देखता है तो मालिक निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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