Legal general knowledge and law study notes
वैसे तो भारतीय दण्ड संहिता एवं नए कानून भारतीय न्याय संहिता में बताया है कि किसी नाबालिग बालक द्वारा या किसी पागल द्वारा या कोई नशेड़ी द्वारा कोई अपराध हो जाता है तब ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया कोई कार्य अपराध नहीं होगा, लेकिन इन पर अंकुश लगाना भी जरूरी है अगर कोई पागल व्यक्ति, शिशु, बालक (नाबालिग) या नशे की हालत में व्यक्ति हमला कर दे तब व्यक्ति स्वयं के बचाव के लिए निजी प्रतिरक्षा का अधिकार ले सकता है जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 98 एवं भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 36 की परिभाषा
अगर कोई विकृतचित(पागल) व्यक्ति या कोई नाबालिग बालक या नशे की हालत में व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर हमला कर दे तब उस उस व्यक्ति को अपनी रक्षा के लिए प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा , अर्थात कोई व्यक्ति ऐसा तर्ज नहीं दे सकता है कि हमला करने वाला व्यक्ति पागल था या बालक था या नशे की हालत में था क्योंकि स्वंय के जीवन की रक्षा करना व्यक्ति का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार होता है।
इसे हम उधारानुसार समझते है
"कोई पागल व्यक्ति किसी व्यक्ति पर हमला करके उसका पर्स लेकर भाग रहा हैं तब उस व्यक्ति को अपनी प्रतिरक्षा में यह अधिकार होगा कि वह उस पागल व्यक्ति को पकड़ कर उससे अपनी पर्स वापस छीन ले। यहां पर पागल व्यक्ति की ओर से यह तर्क उठाना व्यर्थ होगा कि पागलपन के कारण उसके कार्य में समझ का अभाव था। अर्थात व्यक्ति जैसे पागल व्यक्ति से अपनी रक्षा करना निजी सुरक्षा का अधिकार होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com