वह कौन सी गलती है जिसके कारण जमानती असंज्ञेय अपराध गैर जमानती संज्ञेय क्राइम में बदल जाता है

Legal general knowledge and law study notes

जब किसी व्यक्ति को पुलिस वारंट जारी करने के बाद गिरफ्तार करती है और आरोपी व्यक्ति गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो जाता है या स्वयं को बचाने के लिए कहीं छिप जाता है। तब न्यायालय साक्ष्य लेने से पहले या साक्ष्य लेने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 की उपधारा 01 एवं 02 के अनुसार उसके नगर, ग्राम, गाब या किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी लोकल समाचार पत्र के माध्यम से उसकी फरारी की घोषणा कर सकता है। इस घोषणा के बाद भी फरार आरोपी न्यायालय में पेश नहीं होता है तो उस पर एक नई धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 174(क) की परिभाषा

जो कोई फरार व्यक्ति जानबूझकर कर न्यायालय द्वारा दण्ड प्रक्रिया की धारा 82 की उपधारा 01 एवं 02 की गई उद्दघोषणा के बाद भी न्यायालय में उपस्थित नहीं होगा या उसका अनुपालन करेगा। उसे व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 174(क) के अंतर्गत मामला दर्ज करके, उसे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा एवं न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।

Indian Penal Code, 1860 section 174(A) punishment

यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते है। यानी पुलिस प्रकरण दर्ज करेगी, लेकिन पुलिस थाने में जमानत नहीं मिल पाएगी। प्रथम वर्ग न्यायाधीश द्वारा ही जमानत मंजूर की जा सकती है। इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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