दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 37 में बताया गया है कि आम जनता किन मामलों में पुलिस और मजिस्ट्रेट की सहायता कर सकती है। इसके बाद भी कुछ ऐसे मामले या अपराध होते हैं जिनकी सूचना जनता स्वयं पुलिस का मजिस्ट्रेट को देने का कानूनी अधिकार रखती है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 39 की परिभाषा
प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता के निम्न अपराधों की सूचना पुलिस या मजिस्ट्रेट को देना एक कानूनी अधिकार होता है जानिए वो कौन कौन से अपराध है:-
1. राज्य के विरुद्ध किये गए अपराध (अर्थात आईपीसी के अध्याय 06 एवं अध्याय 08 में वर्णित अपराध) की सूचना देना।
2. लोकसेवक पर अवैध परितोषण करना (अर्थात आईपीसी की धारा 161 से धारा 165 क के अपराध)।
3. कोई व्यक्ति खाद्य पदार्थ या औषिधियो में मिलावट करता है उसकी सूचना देना (अर्थात आईपीसी की धारा 272 से धारा 278 तक)।
4. किसी हत्या,चोरी ,लूट, डकैती, संपत्ति की रिष्टि, गृह अतिचार, अपहरण (फिरौती) आदि जघन्य अपराध की सूचना देना।
5. करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कुटकरण करना, नकली बनाना आदि अपराध की सूचना देना(अर्थात आईपीसी की धारा 489 क से धारा 489 ङ तक के अपराध)
उपरोक्त अपराधों की सूचना पुलिस या मजिस्ट्रेट को देना आम व्यक्तियों का कानूनी अधिकार है।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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