आजादी के बाद राजनीति में भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजघरानों में से एक ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के मुखिया श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपनी बुआओं के साथ अब तक समझौता नहीं हो पाया है। मामला प्रॉपर्टी विवाद का है, जो 600 कमरों वाले जय विलास पैलेस में सुलझ नहीं पाया था और फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार में सन 2010 से चल रहा है संपत्ति विवाद
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ उषा राजे, वसुंधरा राजे एवं यशोधरा राजे ने सन 2010 में अतिरिक्त सत्र न्यायालय में निवेदन किया था कि, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कब्जे से उनके हिस्से की संपत्ति उन्हें दिलवाई जाए। बदले में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपनी तीनों बुआ के खिलाफ कोर्ट में एक पिटिशन दाखिल किया था। सिंधिया राजघराने का होने के कारण यह मामला काफी सुर्खियों में आ गया था। इसके कारण श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति एवं लोकप्रियता भी प्रभावित हो रही थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की याचिका नामंजूर
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष द्वारा लगातार मामले को लंबित करने का प्रयास किया जा रहा था जबकि ग्वालियर जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा इस मामले में नियमानुसार सुनवाई कर रहा था और हर महीने तारीख निर्धारित की जा रही थी। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से अतिरिक्त सत्र न्यायालय में एक आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें बताया गया कि समझौता करने में समय लग रहा है क्योंकि देश-विदेश में बहुत सारी संपत्ति है। इसलिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी जाए। अतिरिक्त सत्र न्यायालय में ज्योतिरादित्य सिंधिया की याचिका नामंजूर कर दी थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाईकोर्ट से मिली राहत
बाद में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई और निवेदन किया गया कि, मीडिएशन खत्म होने तक वाद की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की। इसे हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए वाद की सुनवाई पर रोक लगा दी। अतिरिक्त सत्र न्यायालय में हाई कोर्ट के इस निर्णय की जानकारी दी गई अकाश अतिरिक्त सत्र न्यायालय में सुनवाई की अगली तारीख 13 जून 2023 निर्धारित कर दी है।
कैलाश वासी महाराज अपनी बहनों पर जान छिड़कते थे
कैलाश वासी महाराज श्री माधवराव सिंधिया के समय के लोग बताते हैं कि महाराज अपनी बहनों पर जान छिड़कते थे। उनकी हर इच्छा पूरी करने के लिए, किसी भी बात की परवाह नहीं करते थे। यशोधरा राजे, महाराज साहब की सबसे छोटी और सबसे लाडली बहन थी। बताते हैं कि कई बार कैलाश वासी महाराज, यशोधरा राजे के लिए राजमाता साथ के सामने खड़े हो जाते थे। यह भी बताया जाता है कि कैलाश वासी महाराज ने अपने जीवन में कभी भी वसुंधरा राजे की बात को इनकार करना तो दूर की बात, कुछ समय के लिए टालने तक का प्रयास नहीं किया। यदि वह हादसा नहीं होता तो उनकी बहनों को ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।
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