IPC Section 337 Arrest, Bail, Punishment and Compromise Rules
बात सिर्फ हेयर कटिंग की नहीं है बल्कि ऐसी बहुत सारी सर्विस होती है, जब सेवा प्रदाता अपने उतावलापन या लापरवाही के कारण ग्राहक को सामान्य चोट पहुंचा देता है। ज्यादातर मामलों में सेवा प्रदाता माफी मांग लेता है और ग्राहक माफ कर देता है परंतु कभी-कभी स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है। सेवा प्रदाता अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होता और विवाद करने लगता है। आइए हम बताते हैं कि ऐसी स्थिति में सेवा प्रदाता के खिलाफ कौन सी धारा के तहत मामला दर्ज करवाया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 337 गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता के प्रावधान
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 337 के अंतर्गत इस तरह के अपराध दर्ज किए जाते हैं जिसमें छोटी मोटी चोट लगी हो। कोई लापरवाही से साइकिल चलाते समय टक्कर मार दे। कोई भागता हुआ व्यक्ति टकरा जाए। कुल मिलाकर छोटे-मोटे एक्सीडेंट दर्ज किए जाते हैं। आईपीसी की धारा 337 का अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता है अर्थात पुलिस थाना अधिकारी ऐसे अपराध की तुरंत FIR दर्ज करेगा। आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होगी एवं जमानत भी पुलिस थाने से ही ली जा सकती है। इस अपराध की सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम छः माह की कारावास का पांच सौ रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 337 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक किसी व्यक्ति की उपहति करने का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर या न्यायालय की मंजूरी के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसको उपहति की गई है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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