Legal advice- लोन के लिए प्रॉपर्टी के झूठे दस्तावेज, कौन सी धारा लगेगी और कितनी सजा मिलेगी पढ़िए

आईपीसी की धारा 423 में कोर्ट के बाहर समझौता हो सकता है या नहीं

Bank loan, Finance company loan, Private loan या फिर किसी रिश्तेदार से लिया गया कर्जा, कुछ भी हो, यदि उसे प्राप्त करने के लिए प्रॉपर्टी के झूठे दस्तावेज लगाए गए हैं अथवा किसी भी प्रकार की झूठ का उपयोग किया गया है, तब यह अपने आप में अलग प्रकार का अपराध होता है। आइए जानते हैं ऐसे व्यक्ति के खिलाफ किस आईपीसी की किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा। उसकी गिरफ्तारी होगी या नहीं। कितनी सजा का प्रावधान है और क्या इस केस में कोर्ट के बाहर राजीनामा हो सकता है।

आईपीसी की धारा 423 की परिभाषा सरल हिंदी में 

जो व्यक्ति किसी बैंक या संस्था से ऋण लेते समय, जब किसी संपत्ति का अंतरण किया जाना हो, मिथ्या दस्तावेज प्रस्तुत करता है, झूठा कथन प्रस्तुत करता है अथवा गलत हस्ताक्षर कर देता है, तब ऐसा व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 423 के तहत अपराधी होगा। यह अपराध असंज्ञेय (गंभीर) एवं जमानतीय (गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं, पुलिस थाने से जमानत मिल सकती है) अपराध है इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 423 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार संपत्ति के लिए झूठे दस्तावेज को तैयार करने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसकी संपत्ति को लिया गया हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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