आजकल लड़ाई झगड़े में यह आम बात है। गुस्से में सामने वाले का मोबाइल लेकर जमीन पर पटक देते हैं। स्क्रीन गार्ड टूट जाता है। यह तो सब कुछ समझ में आता है कि ऐसा करना गलत बात है लेकिन क्या आप जानते हैं भारतीय दंड संहिता के तहत ऐसा करना एक अपराध भी है। आइए पढ़ते हैं कि ₹50 या उससे अधिक की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस थाने में किस धारा के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा और इसी जानकारी के अंत में पढ़िए एक और मजेदार जानकारी कि आईपीसी की धारा 427 में न्यूनतम मूल्य ₹50 निर्धारित क्यों किया गया।:-
आईपीसी की धारा 427- गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता
भारतीय दंड संहिता की धारा 426 के अनुसार ₹50 या उससे अधिक की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना असंज्ञेय एवं जमानतीय (सामान्य अपराध जिसमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं, पुलिस थाने में जमानत मिल जाती है) अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 427 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा (1) के अनुसार पचास या पचास से अधिक रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुचाने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध है। इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान पहुचाया गया है।
आईपीसी की धारा 427 में ₹50 का निर्धारण क्यों
भारत के लिए भारतीय दंड संहिता सन 1860 में लागू हुई थी। उस समय 10 ग्राम गोल्ड का मूल्य ₹19 था। ₹50 का मतलब है 25 ग्राम गोल्ड। मार्च 2023 की स्थिति में सोने की कीमत ₹57000 प्रति 10 ग्राम न्यूनतम है। इस हिसाब से 25 ग्राम सोने की कीमत ₹142500 हुई। अब इतनी संपत्ति का यदि कोई नुकसान पहुंचाएगा तो FIR तो दर्ज होनी चाहिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com