अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा पुलिस, प्रेस, एडवोकेट आदि झूठे प्रतीक चिन्हों का उपयोग किस धारा के तहत अपराध

सोसाइटी में अक्सर यह देखने को मिलता है कि कुछ लोग अपने वाहनों पर, अपने घर के बाहर नेम प्लेट पर, अपने विजिटिंग कार्ड पर अथवा अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने नाम के साथ मिथ्या प्रतीक चिन्हों का उपयोग करते हैं। यह तो सबकी समझ में आता है कि, यह एक गलत बात है परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय दंड संहिता के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई जा सकती है और इनके लिए दंड का प्रावधान है।

आईपीसी की धारा 482 एवं 484- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता के प्रावधान

जो कोई व्यक्ति अपनी अचल संपत्ति में कोई ऐसा प्रतीक चिन्ह का उपयोग करता है जो वास्तव में वह नहीं है अर्थात सामान्य शब्दों में कहे तो कोई व्यक्ति, पुलिस, प्रेस, एडवोकेट आदि नहीं है और वह अपनी मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार आदि में पुलिस, प्रेस या न्याय (एडवोकेट) के ट्रेडमार्क का उपयोग करता है, तब वह व्यक्ति को मिथ्या संपत्ति चिन्ह के अपराध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 482 एवं 484 के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।

यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं। अतः इनमें आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होती एवं पुलिस थाने से जमानत की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 482 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार मिथ्या सपत्ति चिन्हों का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति की या विभाग, कंपनी आदि का प्रतीक चिन्ह का मिथ्या करके उपयोग किया है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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