Legal Advice - कोर्ट में चालान पेश होने के बाद किस कानून के तहत आरोपी का नाम जोड़ सकते हैं

Bhopal Samachar
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Definition of section 319 of the Code of Criminal Procedure, 1973 in Hindi

आपराधिक मामलों में पुलिस प्राथमिक सूचना प्रतिवेदन (FIR) दर्ज करती है फिर जांच करती है और प्रतिवेदन के साथ सजा निर्धारित करने के लिए केस डायरी सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत करती है। जिसे चालान पेश करना कहते हैं। बहुत से लोग जानते हैं कि चारण पेश होने के बाद भी आरोपी का नाम जोड़ा या घटाया जा सकता है, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इस कानून के तहत न्यायालय में इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने का निवेदन किया जा सकता है। आइए हम बताते हैं:-

CrPC 319- दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 319 की परिभाषा

जहाँ किसी अपराध की जाँच या विचारण के दौरान साक्ष्यों द्वारा यह प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है जो आरोपी नहीं है, ऐसे व्यक्ति का भी आरोपी के रूप में विचारण किया जा सकता है। न्यायालय ऐसे व्यक्ति को, जिसका नाम आरोपी के रूप में नहीं है उसे गिरफ्तारी द्वारा या समन द्वारा न्यायालय में बुलाया सकता है और अगर न्यायालय को ठीक लगता है तो ऐसे व्यक्ति को जब तक जाँच या विचारण की कार्यवाही चल रही है तब तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज सकता है।

कुल मिलाकर, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 न्यायालय को यह शक्ति देती हैं की वह एफआईआर से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति को, जिसके बारे में यह प्रतीत होता है कि वह अपराधी हो सकता है, उसे आरोपी बना सकता है एवं न्यायिक अभिरक्षा (जेल) में भी भेज सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

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