आज हम इन तीन अपराध की जानकारी दे रहे हैं जो एक ही प्रकार के होते हैं लेकिन सजा अलग-अलग होती है। कहते है कानून की भाषा को समझना हर किसी की बात नहीं होती है और आम लोग तो समझ ही नहीं पाते हैं कि उनके साथ किस प्रकार का अपराध हुआ है। आज हम तीन अपराधों के बारे में बताएगे जो एक समान होते हैं लेकिन उनमें बहुत अंतर होता है जानिए।
1. चोरी का अपराध - IPC की धारा 378
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की सहमति के बिना बेईमानी के उद्देश्य से कोई चल संपत्ति ले जाता है तो यह चोरी का अपराध होगा।
जैसे :- मोहन, सोनू के घर से उसकी बिना सहमति के पुस्तक ले आता है और मोहन उसे लौटता नहीं है यहाँ पर मोहन ने चोरी का अपराध किया।
2. आपराधिक दुर्विनियोग - IPC की धारा 403
अगर कोई व्यक्ति सहमति लेकर फिर किसी संपत्ति का गबन कर लेता है या उस संपत्ति को खर्च कर देता है, वहाँ पर आपराधिक दुर्विनियोग का अपराध होगा।
जैसे :- मोहन, को सोनू पढ़ने के लिए कुछ पुस्तक देता है और मोहन बेईमानी के उद्देश्य से उन पुस्तकों को बेच देता है तब मोहन ने आपराधिक दुर्विनियोग का अपराध होगा।
3. आपराधिक न्यासभंग - IPC की धारा 405
विश्वास का भंग होना अर्थात किसी व्यक्ति पर विश्वास करके कोई संपत्ति दी जाती है और वह व्यक्ति विश्वास को तोड़कर उस संपत्ति का गबन कर देता है यहाँ आपराधिक न्यासभंग का अपराध होगा।
जैसे की :- मोहन को सोनू, विश्वास के साथ कुछ पुस्तक अपने पास सुरक्षित रखने के लिए देता है। लेकिन मोहन बेईमानी करता है और उन पुस्तकों को बाजार में बेच देता है। यहाँ पर मोहन ने न्यास भंग का अपराध किया हैं।
Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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