जब कोई वकील, एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 22 के अनुसार अपना सनद प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेता है तब उसे किसी न किसी स्थानीय क्षेत्र में प्रैक्टिस करनी ही होती है उस क्षेत्र या जिले का एक संघ होता है। क्या अधिवक्ता का नाम राज्य बार परिषद की नामावली में होने के बाद भी उसे संघ का सदस्य होना अनिवार्य होता है, जानते हैं इस संबंध में महत्वपूर्ण नियम।
सर्टिफिकेट एण्ड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स, 2015 का नियम क्रमांक 6.1
वह अधिवक्ता जिसने अधिवक्ता अधिनियम की धारा 22 के अनुसार सनद प्रमाण पत्र प्राप्त किया है उसे, जिस स्थानीय क्षेत्र में वह प्रैक्टिस करता है वहाँ के संघ के रूप में सदस्यता लेनी होगी, यह उससे अपेक्षा की जाती है।
अगर कोई अधिवक्ता स्थानीय क्षेत्र के संघ की सदस्यता नहीं लेता है तो इसकी सूचना उसे राज्य बार परिषद को देना होगा एवं उसे यह भी बताना होगा की वह संघ या राज्य बार परिषद की कल्याणकारी योजना का लाभ किस प्रकार लेगा।
नियम 6.2:- अगर कोई अधिवक्ता अपने स्थानीय क्षेत्र संघ में परिवर्तन करना चाहता है तो उसे राज्य बार परिषद में इसकी सूचना एक माह के अंदर देनी होगी जिस राज्य बार परिषद का वो सदस्य हैं।
कुल मिलाकर सरल शब्दों में कहे तो अधिवक्ता को नियम 6.1 के अनुसार लोकल बार एसोसिएशन की सदस्यता लेना अनिवार्य नहीं है लेकिन स्टेट बार एसोसिएशन की तरफ से अनुशंसित है। यदि वह स्थानीय संघ में सदस्यता नहीं लेता है तो इसकी लिखित सूचना उसे राज्य अधिवक्ता परिषद को देनी होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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