Legal advice- सिविल मामलों में विदेशी जजमेंट का कितना महत्व होता है जानिए, CPC-12

Bhopal Samachar
जब कोई डिक्री, निर्णय पारित होता है या सुनाया जाता है तब उसका आधार किसी जजमेंट अनुसार लिया जाता है। ज्यादातर जजमेंट भारत के उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के संदर्भ से लिया जाता है। आज सवाल यह है की क्या किसी विदेशी न्यायालय के जजमेंट को भारत के न्यायालय में आधार बनाया जा सकता है जानिए।

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 12 की परिभाषा

कोई विदेशी निर्णय अगर निम्न परिस्थितियों में है तो इनका आधार मान्य नहीं होगा:-
1. सक्षम क्षेत्राधिकार के न्यायालय द्वारा सुनाया नहीं गया हो।
2. किसी भी मामले का गुणावगुण न होना।
3. ऐसी विधि के अनुसार दिया गया निर्णय जो भारत में लागू नहीं है या भारत की विधि भंग हुई हो या अंतराष्ट्रीय विधि का उल्लंघन करती है।
4. मामले में नैसर्गिक न्याय नहीं हुआ है अर्थात सच्चा निर्णय जो दोनो पक्षो द्वारा स्वीकार नहीं किया गया हो।
5. निर्णय में कपट द्वारा अभिप्राप्त किया गया हो।

उपर्युक्त आधार पर दिया गया विदेशी निर्णय भारत में मान्य नहीं होगा। अगर कोई निर्णय जो भारत की विधि को उल्लंघन नहीं करता है एवं लागू विधि के अनुसार हुआ है तब विदेशी निर्णय भारत के न्यायालय में एक आधार हो सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

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