जबलपुर। सरकार जो चाहे कर सकती है। उसने नियम बनाए हैं वह तोड़ भी सकती है। यहां पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किए गए क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवाज स्वीकृत कर दिए गए। अब कन्फ्यूजन यह है कि पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित क्षेत्र की सीमा बदली जाए या प्रधानमंत्री आवास में संरक्षित क्षेत्र मान लिया जाए। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करके। जबलपुर के कलेक्टर, नगर निगम के कमिश्नर, मध्यप्रदेश शासन और पुरातत्व विभाग से जवाब मांगा है।
नियम:- संरक्षित क्षेत्र के 200 मीटर दायरे में निर्माण नहीं कर सकते
हाईकोर्ट में यह याचिका जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मंच ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जबलपुर में बादशाह हलवाई पहाड़ी पर स्थित 17वीं सदी के पंचानन महादेव मंदिर मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। इसके 200 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके यहां न सिर्फ अवैध खनन और अतिक्रमण हो रहे हैं, बल्कि खुद सरकार ने इस जगह पर कई लोगों को पीएम आवास के निर्माण स्वीकृत कर दिए हैं।
हाईकोर्ट ने मामले पर राज्य सरकार, पुरातत्व विभाग और जबलपुर के कलेक्टर-निगमायुक्त से जवाब तलब किया है। पूछा है कि, आखिर पुरातात्विक महत्व के इस मंदिर की पहाड़ी पर अवैध खनन और अतिक्रमण क्यों किए जा रहे हैं और इसे रोकने के लिए सरकार ने क्या एक्शन लिया है। मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी।